साल 2013 से हरीश की दुनिया 6x3 के बिस्तर पर सिमट चुकी है. ना वो कुछ बोल सकते हैं...ना ही वो कुछ महसूस कर सकते हैं. मेडिकल साइंस की भाषा में इसे वेजिटेटिव स्टेट कहते हैं. बीते 11 साल से अशोक राना और उनकी पत्नी अपने बेटे के ठीक होने का इंतज़ार करते रहे. 60 की निर्मला राना को उम्मीद थी कि एक दिन उनका बेटा ठीक हो जाएगा लेकिन सालों साल बीतते गए और वो दिन नहीं आया... अब वो उम्मीद भी खत्म हो चुकी है. इस मर चुकी उम्मीद के साथ ही अशोक राना और निर्मला राना ने बीते साल हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और बेटे के लिए यूथेनेशिया यानी इच्छामृत्यु की अपील की. लेकिन बीती 2 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस केस को ख़ारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि हरीश किसी भी मशीन के सपोर्ट पर नहीं जी रहे यानी वो लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम पर नहीं हैं. ऐसे में उन्हें यूथेनेशिया की इजाज़त नहीं दी जा सकती.
रिपोर्ट: कीर्ति दुबे
शूट: सिद्धार्थ केजरीवाल
एडिट: रोहित लोहिया
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Негізгі бет दस साल से बिस्तर पर सिमटी जवान बेटे की ज़िंदगी को क्यों ख़त्म करना चाहते हैं माता-पिता?
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