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विपासना जिसका अर्थ विशेष रूप से देखना है भारत में इसके लगभग 70 केंद्र है,मध्यप्रदेश में इसके 6 केंद्र हैं जो भोपाल,जबलपुर,बालाघाट,रतलाम,गुना, इंदौर में स्थित है।
इस विद्या की खोज भगवान गौतम बुद्ध ने लगभग 2500 वर्ष पूर्व की थी इसे करने के लिए पहले 3 दिनों में आनापान विधि के माध्यम से अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया जाता है फिर आगे के 7 दिनों में ध्यान की अलग-अलग विधियां सिखाई जाती हैं इस उपासना विधि में मनुष्य को उसकी संवेदनाओं के जरिए अपने मन को समझने एवं उस पर नियंत्रण करना सीखना होता है यह विद्या भारत से विलुप्त होने के बाद म्यांमार में जीवित रही वहीं से यह भारत में वापस आई इसे करने के बाद व्यक्ति मानसिक और आध्यात्मिक रूप से और अधिक सुदृढ़ होता है इसमें प्रतिदिन साधक को लगभग 12 घंटे ध्यान करना होता है जिसकी दिनचर्या प्रातः काल 4:00 से प्रारंभ हो जाती है जो कि रात के 9:00 बजे तक चलती है यह विद्या अपने चित्त को एकाग्र करने में बहुत ही सार्थक साबित होती है विपासना केंद्रों में इसके लिए पांच आर्यव्रत का पालन करना भी अनिवार्य होता है जो है झूठ न बोलना, जीव हिंसा न करना, चोरी न करना, ब्रह्मचर्य का पालन, नशा पत्ता न करना।
Негізгі бет dhamma malwa vipassana centre indore | धम्म मालवा विपश्यना केंद्र इंदौर
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