कितना सुन्दर है मेरा गांव
पहले जब घर में थे
तब बाहर जाने का मन करता था
घर का खाना छोड़ के तब
बाहर खाने का मन करता था
शहर आये थे बड़े शौक से
सपनों की मंज़िल पाने के लिए
याद आती है जब गांव घर की तो
मन तरसता है लौट जाने के लिए
मन तरसता है लौट जाने के लिए
कितना सुन्दर है मेरा गांव चारो
ओर प्रकृति से खिला हुआ
यहां हवा भी चलती है तो
जहर मिली हवा जहर मिला हवा
घर का जैसा खाना
नहीं मिला परदेस में
खाना तो बहुत मिला
मां का हाथ वाला टेस्ट नहीं मिला
खेत में जब जाते है तो अपने
मर्जी से घर आ सकते हैं
आज ऐसी हो गई ज़िन्दगी मेरी
न अपने मर्जी से जा सकते हैं
न अपने मर्जी से आ सकते हैं
जवानी बीत गयी परदेस में
अब घर जाने का मन कर रहा है
बहुत खा लिया औरों के हाथ का खाना
अब मां का हाथों से बनाया
खाने का मन कर रहा है
अब घर लौट जाने का मन कर रहा है
अब घर लौट जाने का मन कर रहा है
भूपेन्द्र सिंह
पराडा
मेरा गांव मेरा अभिमान....❤❤❤
Негізгі бет धरती पे जन्नत हमारा गाँव...Waadiyaan Ye Fizaayein Bula Rahi Hain Tumhen
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