Inspired by immortal ghazal by Nasir Kazmi.
देखते थे हम रास्ता जिसका
वो भी आ कर गुज़र ना जाए कहीं
आशिक़ी है ये या इबादत है
फ़र्क जो हो तो नजर आए कहीं
एक मुद्दत से नहीं मिल तुझसे
दिल का ये जख्म भर न जाए कहीं
जिसके देखे से क़रार आता था
अब तो वो भी नजर न आए कहीं
Original Credits:-
Singer - Noor Jahaan
Lyrics - Nasir Kazmi
Composer- Mohsin Raza
Neeyat- E- Shauq
Негізгі бет Dil ka ye zakhm bhar na jaaye kahin
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