आदिवासी हिंदू है किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं, बोले आदिवासी कमल जी महाराज
झाबुआ
देशभर में आदिवासियों को लेकर हिंदू एवं गैर हिंदू का मुद्दा गरमाता जा रहा है मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के अंतर्गत आदिवासी समाज के संत गुरु कमल जी महाराज ने संसद में बांसवाडा सांसद के बयान को लेकर पलटवार किया है आदिवासी हिंदू है या नहीं इसको लेकर आदिवासी अंचल के साथ-साथ देश की संसद में भी इस पर बहस छिड़ी हुई है । बांसवाड़ा के सांसद राजुकमार रोत ने संसद में कहा था कि आदिवासी किसी धर्म को नहीं मानता, उनके लिए अलग धर्म कोड की व्यवस्था होनी चाहिए । मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के विहिप के जिलाध्यक्ष आज़ाद प्रेम सिंह और धर्म प्रचार प्रमुख कमल जी महाराज का कहना है कि आदिवासी हिंदू है । कमल जी महाराज जो आदिवासी संत खुमसिंह जी महाराज के बेटे है उन्होंने कहा कि आदिवासी सनातनी है, जो संसद में बोल रहे हैं, उनको कुछ पता नहीं, उनसे पूछना चाहिए कि उनके पूर्वज कौन थे । वहीं आज़ाद प्रेम सिंह ने भी कहा कि हमे किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है, मैं खुद आदिवासी हूुं, हम राम-राम करते हैं, राम पूजा करते हैं, हनुमान की पूजा करते हैं, लेकिन विभेद पैदा करने वाले हमें नहीं तोड़ पाएंगे स्व खुमसिंह महाराज आदिवासी समाज के संत थे, सामाजिक कुरीतियों के साथ ईसाई धर्मांतरण को लेकर झाबुआ में काम किया, झाबुआ के कोकावद गांव के रहने वाले थे, उनके बेटे कमल महाराज उनके काम को आगे बढा रहे हैं संसद में दिए बयान के बाद आदिवासी समाज के धर्म गुरु के अब बयान कहीं ना कहीं आने शुरू हो गए हैं अब आखिर यहां के धर्म गुरु क्या कहना चाहते हैं देख उन्हें की जुबानी एक खास रिपोर्ट।
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Негізгі бет आदिवासी हिंदू है किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं,बोले आदिवासी कमल जी महाराज सांसद ब्रहम में जी रहा.
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