#दिव्यामाथुर की कहानी-फिर कभी सही
Divya Mathur ki kahani
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हिन्दी कहानी
#स्वर-सीमासिंह
दिव्या माथुर ब्रिटेन मे बसी भारतीय मूल की हिंदी लेखिका है। कविता एवं कहानी समान रूप से लिखती रही हैं। उनके कहानी संग्रह `आक्रोश' के लिए उन्हें वर्ष 2001 का पद्मानंद साहित्य सम्मान प्राप्त हो चुका है। उनकी कविताओं में जहां तीखा क्षोभ है, वहीं मार्मिकता भी है, संवेदनशील बुनावट है तो भावात्मक कसावट भी है। उनके कहानी संग्रह में संग्रहित अधिकतर रिश्तों और स्थितियों में पिस रही औरत की कहानियां हैं। उनके रचना संसार में सास और पति आमतौर पर ज़ुल्म का प्रतीक बनकर उभरते हैं। उनकी कहानियों का अनुवाद कई भाषाओं में हुआ है। उनकी कहानियों एवं कविताओं को भी कई संकलनों में शामिल किया गया है। उनके अब तक चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। भारत में उनके रचना संसार पर एम. फिल. भी की जा चुकी है। साहित्य रचने के अतिरिक्त दिव्या माथुर `वातायन' संस्था की अध्यक्षा, `यू॰के॰ हिन्दी समिति' की उपाध्यक्षा एवं `नेहरू केन्द्र' की कार्यक्रम अधिकारी हैं।
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