शूद्रा..मुंशी प्रेमचन्द की प्रसिद्ध रचना .. Munshi Premchand's Stories
.....गंगा ने उसका खूब आदर-सत्कार किया, उसके लिए गेहूँ का आटा लायी, घर से बरतन निकालकर दिये। कहार ने पकाया, खाया, लेटा, बातें होने लगीं। सगाई की चर्चा छिड़ गयी। कहार जवान था, गौरा पर निगाह पड़ी, उसका रंग-ढंग देखा, उसकी सजल छवि आँखों में खुब गयी। सगाई करने पर राजी हो गया।
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