शंकर या महादेव अरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जाने जाते है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है।[1] वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, भिलपती, भिलेश्वर,रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है।[2] हिन्दू शिव घर्म शिव-धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। इनकी अर्धांगिनी (शक्ति) का नाम पार्वती है। इनके पुत्र कार्तिकेय , अय्यपा और गणेश हैं, तथा पुत्रियां अशोक सुंदरी , ज्योति और मनसा देवी हैं। शिव अधिक्तर चित्रों में योगी के रूप में देखे जाते हैं और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है। शिव के गले में नाग देवता विराजित हैं और हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए हुए हैं। कैलाश में उनका वास है। यह शैव मत के आधार है। इस मत में शिव के साथ शक्ति सर्व रूप में पूजित है।
🔱 हर हर महादेव 🔱
🙏 पूज्य गिरी बापू के चरणों मे सादर प्रणाम 🙏
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Негізгі бет ek mahadev ki puja krne se bishv k sbhi devtao ki puja ho jati hai | shiv katha | shiv puran
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