2024 तक सभी सरकारी स्कूलों में मिड डे मील, आँगनबाड़ी केंद्रों और PDS के ज़रिए ग़रीबों को राशन में फ़ॉर्टिफ़ायड चावल मिलेंगे, मोदी सरकार ने कुपोषण से लड़ने के लिए ये एक बड़ा क़दम उठाया है।
चावल ही नहीं ऐसी तमाम खाने की चीज़ों को बड़ी बड़ी कम्पनीज़ फ़ॉर्टिफ़ाई कर बाज़ार में उतार रही हैं,क्या कुपोषण की इस लड़ाई से जूझते हुए खाने का बड़ा बाज़ार Corporates के हवाले चला जाएगा?
इतने बड़े पैमाने पर बँटने वाले चावल को स्वास्थ्य के पैमाने पर अच्छे से परखा गया है?
क्या है Fortified food पर वैज्ञानिकों की राय?
पोषण के लिए कम्पनीज़ पर निर्भर होना कितना सही, कितना ग़लत?
इन मुद्दों पर 'तीखी मगर सीधी बात' - पद्मश्री सम्मानित, जेनेटिक वैज्ञानिक और
Gene Campaign की Founder Chairperson, Dr. Suman Sahay से ख़ास बातचीत।
Негізгі бет Fortified Food: पोषण का फलता फूलता कारोबार!
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