शहरों की तर्ज पर ग्रामीणों को भी सभी मूलभूत सुविधाए मिले इस लक्ष्य को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल द्वारा 24 दिंसबर 2020 को बनाए गए मानेसर नगर निगम में तैनात कुछ अधिकारी ग्रामीणों को सुविधाएं देने की बजाए पंचायती जमीनों को बेचने में जुट गये है, ताकि मोटी आमदनी कमाई जा सके।
ऐसा ही मामला मानेसर नगर निगम के गंाव सिंकदरपुर बढा में सामने आया है जहां गांव सिकंदरपुर की करोड़ों रुपये की पंचायती जमीन को निगम के अधिकारियों द्वारा मिलीभगत करके जाने माने बिल्डर वाटिका को बेचने की पूरी-पूरी तैयारी कर ली है जिसके लिए निगम अधिकारियों ने इसका प्रस्ताव सरकार के पास भी भेज दिया है, लेकिन पंचायत की जमीन बेची जा सके इससे पहले इसकी सूचना ग्रामीणों को लग गई और सोमवार को गंाव सिंकदरपुर बढा के सरपंच सुंदरलाल यादव के नेतृत्व में मौजिज ग्रामीणों ने मानेसर नगर निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपकर इसका विरोध जताया और कहा कि इस निगम अधिकारी पंचायती जमीन को बिल्डर को बेचती है तो ग्रामीण धरना पर बैठ जाएगेें इसलिए निगम प्रशासन अपने प्रस्ताव को वापिस ले और पंचायती रास्तों व जमीन को ना बेचे। वही निगम के इस फैसले से जहां ग्रामीण लामबंध हो गये है वही विपक्षी नेता भी सरकार पर हावी हो रहे है।
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आप जरा तस्वीरों में देखिये आलीशान बिल्डरों के बीच से जाने वाले ये वही रास्ते है जिनको मानेसर नगर निगम बिल्डर वाटिका को बेचने की पूरी तैयारी कर चुका है, क्योकि गांव के पंचायती रास्तों की जमीन वाटिका बिल्डर की जमीन के बीच में है। करीब ढाई एकड़ रास्तों की जमीन पर गांव वालों की भी जमीन है, लेकिन नगर निगम के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इस जमीन को सर्कल रेट पर करीब 17 करोड़ रुपये में बेचने की तैयारी की गई है। जबकि इस जमीन की वास्तविक कीमत 500 करोड़ रुपये से भी अधिक है।
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सिंकदरपुर बढा के सरपंच सुंदरलाल यादव ने मानेसर निगम कमिश्नर को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि उनके गांव की जमीन अगर इस तरह से कौडि$यों के भाव निजी बिल्डर को बेची जाती है तो ग्रामीण खुलकर इसका विरोध करेंगे। इस जमीन को बचाने के लिए पंचायत निदेशक और हाईकोर्ट से भी ग्रामीण जीत चुके हैं। अगर फिर जरूरत पड़ी तो फिर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। अगर अधिकारियों ने तुरंत ही इस मामले में कार्रवाई नहीं रोकी तो ग्रामीण आंदोलन की राह पर भी आ जाएंगे।
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निगमायुक्त अशोक कुमार गर्ग ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि निगम अनुसार इस जमीन को बेचा जाएगा यदि इन रास्तों पर किसानों या ग्रामीणों को जमीन है तो किसी भी किमत में एक इंच भी जमीन को नही बेचा जाएगा।
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वही इस मामले पर सरकार व भाजपा नेताओं को घेरते हुए कांग्रेस नेता राजेश यादव ने कहा कि पहले ये खेल गुडग़ंाव नगर निगम में होता था अब मानेसर में भी शुरू हो गया है क्योकि ये जमीनों को बेचने वाली सरकार है।
Негізгі бет गोलमाल है भाई गोलमाल है, 500 करोड़ की जमीन को अधिकारी किसके कहने पर बेच रहे हैं कौड़ियों के भाव,
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