मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के महिदपुर की पहाड़ी पर बिजासन टेकरी में मां चामुण्डा बिजासन माता का मंदिर है। वैसे तो नवरात्रि के नौ दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवमी पर हजारों की भीड़ उमड़ती है। आसपास के लोग इसे चमत्कारी मंदिर मानते हैं। यहां एक ऐसा चमत्कार होता है, जिसे देखकर हर कोई दांतों तले अंगुली दबा लेता है।
- मंदिर में माताजी की मूर्ति के सामने करीब 25 साल से अखंड ज्योत जल रही है। ख़ास बात ये है कि ये ज्योत तेल या घी से नहीं, बल्कि पानी से जलती है। इस दीपक में कन्या अपने हाथ से पानी डालती है और ज्योत जलती रहती है।
- पंडित बताते हैं कि कई नास्तिक लोग अखंड ज्योति की जांच के लिए आ चुके हैं। कुछ तो अपने साथ पानी लेकर आए थे, लेकिन जैसे ही मासूम बच्ची ने उनसे पानी लेकर दीपक में डाला तो वह तेल की तरह जलने लगा।
- नवमी को यहां त्यौहार जैसा माहौल रहेगा। मंदिर परिसर में हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे होंगे। इसी भीड़ के बीच से मंदिर के आराधक संतोष माताजी मंदिर में पहुंचेंगे। नवमी के दिन मंदिर के आराधक संतोष माताजी के शरीर में खुद बिजासन माता प्रकट होकर दर्शन देती हैं। काली माता की वेशभूषा में जब संतोष माता हाथ में पूजा का खप्पर और तलवार धारण कर अपनी कुटिया से निकलती हैं तो उस विकराल रूप को देख श्रद्धालुओं के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
- कुटिया से मंदिर तक के रास्ते में फूल बिखेरते हुए श्रद्धालु दोनों तरफ खड़े होकर जयकारे लगाते हैं। मां पहले शिप्रा नदी में पहुंचती हैं और फिर वहां खप्पर प्रवाहित कर तलवार नदी में बहा देती हैं। इसके बाद श्रद्धालु उन्हें चुनरी ओढ़ाकर नदी में हाथ डालते हैं, तो एक और चमत्कार उनके सामने होता है। जिस तलवार को माता ने नदी में प्रवाहित किया था वह तलवार फिर से उनके हाथ में आ जाती है।
- यहां से माता की सवारी मंदिर की ओर गुजरती है, यहां माता अपनी तलवार से गर्दन पर प्रहार करती हैं और फिर देखते-ही देखते वो लहूलुहान हो जाती हैं। इसके बाद सबको दर्शन देकर संतोष माताजी मंदिर के गर्भगृह में चली जाती हैं।
Негізгі бет आग जलता खप्पर लेकर चलती है टेकरी वाली माता | तलवार हो जाती है गायब | Maa Chamunda Bijasan Tekri
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