पतंग जळे पीछे पहले, दीपक को चसणा पड़ता है।
यारी और बुमारी में फंदे में फसना पड़ता है
रचनाकार - गंधर्व कवि पंडित नंदलाल जी पाथरवाली।
हरियाणवी रागणी,
गायक - मुन्ना लाल कुमावत
ढोलक - पुरुषोत्तम'काका'
ऑटोपैड - तुलसी राम कुमावत
मंजीरा वादक - सूरज भान
गुरुकृपा रिकॉर्डिंग स्टूडियो बढ़ पिपली बस स्टैंड नींदड़ जयपुर राजस्थान 9314621587
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Gandharv Kavi pandit Nandlal ji ke Haryanvi tarj par bhajan sunane ke liye kripya channel ko adhik se adhik subscribe Karen vah unki bahut hi shandar rachnaen sune
Негізгі бет गंधर्व कवि पंडित नंदलाल जी कि रागणी। पतंग जळे पीछे पहले, दीपक को चसणा पड़ता हैHariyanvi Ragani
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