इस सावन आप अपने परिवार के साथ 12वें ज्योतिर्लिंग घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकते हैं. यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित है. भगवान भोलेनाथ का यह प्रसिद्ध मंदिर औरंगाबाद शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर वेरुल नामक गांव में है. इस ज्योतिर्लिंग को घुष्मेश्वर भी कहा जाता है. इस सावन आप भगवान शिव के दर्शन और पूजा-पाठ के लिए यहां जा सकते हैं. शिवमहापुराण में भगवान शिव के इस अंतिम ज्योतिर्लिंग का उल्लेख है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव के दर्शन और पूजा-पाठ करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
आइये जानते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग को लेकर पौराणिक कथा क्या है ⤵️
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग अजंता और एलोरा की गुफाओं के पास स्थित है. इस शिवलिंग की कथा घुष्मा नामक शिव भक्त से जुड़ी हुई है. जिसके नाम पर ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम घृष्णेश्वर या घुष्मेश्वर पड़ा. कहा जाता है कि इस मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 18 वीं शताब्दी में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था. सावन के महीने में यहां शिव भक्तों की काफी भीड़ जुटती है #sawan #sawanspecial
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ℹ️घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा है कि देवगिरि पर्वत के पास सुधर्मा ब्राह्मण पत्नी सुदेहा के साथ रहता था. उनकी कोई संतान नहीं थी. सुदेहा ने अपने पति का विवाह छोटी बहन घुष्मा से करवा दिया जो भगवान शिव की परम भक्त थी. वह रोज 100 पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करती और उन्हें तालाब में विसर्जित कर देती. भगवान शिव की कृपा से उसका एक पुत्र हुआ. समय के साथ छोटी बहन की खुशी बड़ी बहन सुदेहा से देखी नहीं गई और एक दिन उसने छोटी बहन के पुत्र की हत्या करके तालाब में फेंक दिया. पूरा परिवार दुख से घिर गया. पर शिव भक्त घुष्मा को अपने आराध्य भोलेनाथ पर पूरा भरोसा था. वह प्रतिदिन की तरह शिव पूजा में लीन रही. एक दिन उसे उसी तालाब में अपना पुत्र वापस आता दिखा. अपने मृत पुत्र को फिर से जीवित देख घृष्णा काफी खुश थी. कहा जाता है कि उसी समय वहां शिव प्रकट हुए और उसकी बहन सुदेहा को दंड देना चाहा. लेकिन घुष्मा ने शिव से बहन को क्षमा कर देनी की विनती की. इस ज्योतिर्लिंग के करीब एक तालाब है. भक्त जिसके दर्शन करते हैं #jyotriling #12jyotirlinga
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