In conversation with singer, composer, songwriter and poet Raj Mohan
Anchor: Irfan
00:30 परिचय
05:48 पैदाइश सूरीनाम
06:00 गीत ग़ज़ल के प्रति झुकाव..... उस्ताद मेहदी हसन, उस्ताद ग़ुलाम अली खां, पंडित हरीप्रसाद चौरसिया, जगजीत सिंह जैसे गायकों के रिकॉर्ड सुनने से शुरुआत...नापसन्दी से जुनून की हद तक का सफ़र,
08:17 उस्ताद अमीर खां साहब का ज़िक्र जो इनके दादा उस्ताद थे
08:45 किस तरह के गानों से लगाव
09:10 ग़ज़ल के प्रति जुनून की शुरुआत
10:40 संगीत सीखने के प्रति पहला रुझान
11:29 सरनामी भोजपुरी में अच्छे गीत ढूंढने की उत्कंठा
12:07 संगीत सीखने की शुरुआत
13:46 सरनामी भोजपुरी में गीत गाने की इच्छा
14:25 सरनामी भोजपुरी गीत ढूंढने की क़वायद ... जीतनारायण , श्रीनिवास जैसे कवियों को पढ़ा
16:25 गीत लिखने की पहली कोशिश
17:47 पहला स्वरचित गीत
18:19 “न जाने कैसे तोसे बोली जान ” का गायन
19:26 सरनामी कम्युनिटी के बारे में.... इतिहास
24:16 पूर्वजों के सूरीनाम जाने की कहानी
25:27 परिवार में संगीत
26:13 परिवार का व्यवसाय और संरचना
27:01 रोज़ी-रोटी का श्रोत
27:34 होलैंड में भारतीय आबादी
28:01 होलैंड में किस तरह संगीत का सुना जा रहा है
29:30 राजमोहन जी के शब्दों में उनकी संस्कृति
31:15 सूरीनाम के प्रवासी भारतीयों में जाति और धर्म
33:45 break
35:18 “दायरा” एलबम के गीत का गायन
39:20 दूसरा गीत
44:03 गानों के माध्यम से वहाँ के रहने वाले भारतीयों के सवाल
45:29 “कांत्राकी” नामक गीत
49:22 प्रवासी भारतीयों का भारत लौटने के प्रति विचार और उनकी कहानी
54:05 भारत के साथ भावनात्मक रिश्ता
56:24 सूरीनामी भारतीय संगीत और भारत में भारतीय संगीत का अंतर
58:35 अपनी संस्कृति, भाषा को लेकर काम करने की कोशिश
Негізгі бет Guftagoo with Raj Mohan
Пікірлер: 137