गुरु घासीदास बाबाजी एवं माता सफुरा के दुलौरिन बेटी "माता सहोद्रा" का जन्म होलिका दहन के दिन हुआ था। सहोद्रा माता के समाधी स्थान ग्राम कुटेला में सभी जाति धर्म के लोग निवास करते हैं, लेकिन उस गाँव मे होली नहीं मनाया जाता और नहीं दुर्गाजी का स्थापना किया जाता..... वहाँ समस्त मानव समाज सहोद्रा माता के सतनाम शक्ति को मानता है। आज भी वहाँ जाकर इन सत्यताओं को देखा जा सकता है। उसी तरह डुमहा ग्राम मे दीवान परिवार के लोग होली नहीं मनाते इसी दिन माता सहोद्रा के झांपी और गुरु घासीदास बाबाजी जिस चरण खड़ाऊ एवं कंठी जनेऊ को धारण किये थे जिसे अपने पुत्री के अनुरोध पर उन्हें उपहार दिए थे उन्ही चरण खड़ाऊ एवं कंठी जनेऊ को आम जन के दर्शन हेतु खोला जाता है साथ ही माता सहोद्रा, सतगुरु बाबाजी का ध्यान आराधना और दर्शन हेतु ज्योतिकलश जलाया करती थी, उस ज्योति कलश को भी बाहर निकाला जाता है।
उन्ही ज्योति कलश, चरण खड़ाऊ और कंठी जनेऊ के छायाचित्र को आप सभी के दर्शन हेतु यहां पोस्ट किया जा रहा है।
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गुरु घासीदास बाबाजी एवं माता सहोद्रा का आशीर्वाद हम सभी के ऊपर बनी रहें
साहेब सतनाम
Негізгі бет गुरु घासीदास बाबाजी का ओरिजिनल कंठी माला एवं चरण खड़ाऊ
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