अपने दिवंगत माता-पिता व अन्य पितरो को प्रतिदिन मन से धन्यवाद करना चाहिए, क्योंकि उन्ही के कारण हमारा जीवन है। परन्तु मृत्यु के उपरांत उनकी तस्वीर लगाकर उनका आह्वाहन कदापि न करें। ऐसा करने से उनकी सूक्ष्म रूप से घर में उपस्थिति हो जाती है, जो न तो उनके हित में है और न ही परिवार के सदस्यों के हित में है। पंच तत्वों का यह शरीर जब विलीन हो गया तो तस्वीर के कारण उनकी आत्मा उसमे आसक्त होती है। वहां रहने के लिए उसको फिर प्राण शक्ति (LIfe Force Energy ) की आवश्यकता होती है, जोकि वह परिवार के किसी भी सदस्य से लेने लगता है। इसलिए आडम्बरों में ना पड़े, और दिवंगत आत्मा की ऊर्ध्वगति की प्रार्थना करें, अनजाने में अधोगति का कारण न बन जाएं ।
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Негізгі бет गुरु वाक्यम् एपिसोड 552 : पितरों को पृथ्वीलोक पर वापस मत बुला लेना।
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