गणेश जी के एक दंत कहलाने की कहानी इसी बैलाडीला पहाड़ी से जुड़ी हुई है। कहते हैं यहां परशुराम और गणेश जी में युद्ध हुआ था और परशुराम के फरसे के प्रहार से गणेश जी का एक दांत टूटकर यहीं गिर गया था। हरी-भरी वादियों में ढोलकल की पहाड़ी पर स्थित भगवान गणेश जी की ये प्राचीन मूर्ति आज भी उस प्राचीन समय की यादें ताजा कर देती है। - ब्रह्मवैवर्त पुराण के एक कथानक में बताया गया है कि एक बार कैलाश पर परशुराम भगवान शंकर से मिलने पहुंचे।
- वहां गणेश जी पहरेदारी पर थे। परशुराम ने जिद की तो गणेश जी ने अपनी सूंढ़ में उन्हें लपेट लिया और तीनों लोगों के चक्कर लगाते हुए भू-लोक पर ले आए। यहां परशुराम को एक पहाड़ी पर जोर पटक दिया। वे अचेत हो गए।
- जैसे ही उन्हें होश आया तो कुपित होकर उन्होंने फरसे से गणेश जी पर वार किया जिससे उनका एक दांत टूटकर गिर गया।
- लोक कथाएं बताती हैं कि ये लड़ाई दंतेवाड़ा के इसी ढोलकल पहाड़ी पर हुई थी। फरसे के वार से दांत टूटने के चलते पहाड़ी के नीचे स्थित गांव का नाम फरसपाल है।
- गणेश का दर्शन करना काफी दुर्गम है। यहां आने के लिए दंतेवाड़ा से 18 किमी दूर फरसापाल जाना पड़ता है।
- उसके बाद कोतवाल पारा होते हुए जामपारा पहुंचकर गाड़ी वहीं पार्क करनी होती है। यहां स्थानीय आदिवसियों के सहयोग से पहाड़ी पर 3 घंटे की दुर्गम चढ़ाई के बाद पहुंचा जा सकता है।
- बारिश के दिनों में रास्ते में पहाड़ी नाले बहने लगते हैं जिससे ये मार्ग और दुर्गम हो जाता है।
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