ठांय ठांय नाचत मोर सुन सुन नवघनकी घोर बोलतहें चहुं और अतीही सुहावने ।। घुमडत घनघटा निहार आगम सुख जाय विचार चातक पिक मुदित गावत द्रुमन बैठे सुहावने ॥१ ॥ नवल वनमें पहरे तनमें कसुंभी चीर कनक वरण श्याम सुभग ओढे वसन पीत सुहावने ।। पावस ऋतुको रंग बिलास दास चतुर्भुज प्रभुके संग मोहत कोटिक अनंग गिरिधर पिय अंग अंग अतिही सुहावने ॥२ ॥
राग : गौड मल्हार
ताल : चौताल
• जशोदा रथ देखन को आई~रथ...
• जे श्री जगन्नाथ हरि दे...
पुष्टिमार्गीय हवेली कीर्तन ✨
Негізгі бет ठाय ठाय नाचत मोर ~ कसुंबा छठ को पद ~ राग : गौड मल्हार ताल : चौताल
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