Sing-Along this Divine Hanuman Stotra, "Hanuman Sathika - Mool Path (हनुमान साठिका मूल पथ)", With Lyrics, beautifully sung & composed by Shri Anup Jalota.
May Shri Hanuman shower His blessings on you.
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Song Credits:
Singer(s): Anup Jalota
Music Director: Anup Jalota
Lyricist: Traditional
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Meaning and Benefits :
Meaning : Hanuman Sathika (हनुमान साठिका) is a powerful hymn in praise of Lord Hanuman. It has a total of sixty 'Chopais' hence the name 'Sathika'. This was composed by Great devotee saint poet Shri Tulsidas Ji. Recitation of this removes obstacles in the path of success and brings happiness in one's life.
Benefits :
1. By continuous recitation of Hanuman Sathika, Hanuman Grace always remains on you.
2. Hanuman ji always protects his devotees from every crisis.
3. By following the recitation of this verse, any crisis gets redressed.
4. Regularly recite this Hanuman Sathika with devotion, for auspicious and fruitful results.
5. The blessings of Hanumanji always remain on them. Their desires are fulfilled
6. The text of this mantra gives freedom from fear etc.
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Song Lyrics:
वीर बखानउँ पवनसुत जानत सकल जहान
जय जय जय अंजनी तनय संकट हर हनुमान
जय जय जय हनुमान अडंगी। महावीर विक्रम बजरंगी।।
जय कपीश जय पवन कुमारा। जय जगवन्दन शील अगारा।।
जय आदित्य अमर अविकारी । अरि मरदन जय-जय गिरिधारी ।।
अंजनि उदर जन्म तुम लीन्हा। जय-जयकार देवतन कीन्हा।।
बाजी दुन्दुभि गगन गम्भीरा। सुर मन हर्ष असुर मन पीरा।।
कपिन तेज गढ़ लंक सकानी। छूटी बन्दी देवतन जानी।।
ऋषि समूह निकट चलि आये। पवन तनय के पद सिर नाये।।
बार-बार अस्तुति करि नाना। निर्मल नाम धरा हनुमाना।।
सकल ऋषिन मिलि अस मत ठाना। दीन्ह बताय लाल फल खाना।।
सुनत बचन कपि मन हर्षाना। रवि रथ गए लाल फल जाना।।
रथ समेत कपि कीन्ह अहारा। सूर्य नहीं तब अति भयकारा ।।
विनय तुम्हारि सुनै अकुलाने । सबहिंन मिलि तब अस्तुति ठाने ।।
सकल लोक वृतान्त सुनावा। चतुरानन तब रवि उगिलावा।।
कहा बहोरि सुनहु बलशीला । रामचन्द्र करिहैं बहु लीला।।
तब तुम तिन्हकर करब सहाई। अबहिं बसहु कानन मह जाई।।
असकहि सो निजलोक सिधारे । मिले सखन मह पवन दुलारे ।।
खेलैं खेल महा तरु तोरैं। गली करैं बहु पर्वत फोरैं।।
जेहि गिरि चरण देहि कपि राई। बलयुद्ध भीत रसातल जाई।।
कपि सुग्रीव बालि की त्रासा। निरखति रहे राम मगु आसा।।
मिले राम लय पवन कुमारा। अति आनन्द भये तेंहि वारा ।।
मणि मुद्रिका राम संग पाई। सीता खोज चले सिरु नाई।।
शतयोजन जलनिधि विस्तारा। अगम अपार देवतन हारा।।
जिमि सर गोखुर सरिस कपीशा । लांघि गये कपि कहि जगदीशा।।
सीता चरण सीस तह नावा । अजर अमर को आशिष पावा ।।
रहे दनुज उपवन रखवारी। एक ते एक महाभट भारी।।
तिन कह मारि पवनसुत वीरा । जारि लंक उन कियो अधीरा ।।
सिया बोध दै पुनि फिर आये। रामचन्द्र के पद सिर नाये।
मेरु उपारि आप छिन माहीं। बांध्यो सेतु निमिष इक मांहीं।।
शक्ति लागी लखन के जबहीं। राम बुलाय कहाँ पुनि तबहीं।।
भवन समेत वैद लै आये। तुरत संजीवन कह पुनि धाये।।
मग महं कालनेमि कहं मारा। अमित सुभट निश्चिर संहारा।।
आनि संजीवन गिरि समेता। धरि दीन्हों जहं कृपा निकेता।।
फनपति केर कष्ट हरि लीन्हा। एसो कठिन काज तुम कीन्हा।।
अहिरावण हरि अनुज समेता। लै गयो जहाँ पताल निकेता।।
तहाँ रहे देवी अस्थाना। दीन चहै बलि काटि कृपाना।।
पवनतनय दह कीन गुहारी। कटक समेत निसाचर मारी।।
आपण रूप दिखाए बहोरी। राम लखन कीने यक ठोरी।।
सब देवन की बन्दि छुड़ाये। सो कीरत मुनि नारद गाये।।
अक्षयकुमार दनुज बलवाना। सानकेतु कहं सब जग जाना।।
कुम्भकरण रावण कर भाई। ताहि निपात कीन्ह कपिराई।।
मेघनाद पर शक्ति मारा। पवन तनय सब सो बरियारा।।
रावण तनय नारान्तक जाना। पल में ताहि हतो हनुमाना।।
जहं लगि नाम दनुज कर पावा। पवन तनय सब मारि नसावा।
जय मारुत सुत जय अनुकूला। नाम कृसानु शोक जम तूला।।
जहं जीवन कर संकट होई । हनुमत नाम जपै सब कोई ।।
बन्दि परै सुमिरै हनुमाना। विपदा कटै धरै जो ध्याना।।
जमको बांध बामपद दीन्हा। मारुत सुत व्याकुल बहु कीन्हा।।
सो भुजबल का कीन कृपाला। अच्छत तुम्हें मोर यह हाला।।
आरत हरन नाम हनुमाना। सारद ऋषिमुनि कीन्ह बखाना।।
संकट रहै न एक रती को। जो ध्यावे हनुमान जती को।।
धावहु देखि दीनता मोरी। विनती करहु नाथ कर जोरी।।
कपिपति बेगि अनुग्रह कीजै ।सेवक जानि विपत्ति हरि लीजै ।।
राम शपथ मैं तुमहिं दिवाया । जवन गुहार लाग सिय जाया।।
बुद्धि तुम्हार सकल जग जाना। मैं सज्जक बन्धन हनुमाना ।।
यही बन्धन कर केतिक बाता। नाम तुम्हार जगत सुखदाता।।
करहु कृपा जय जय जग स्वामी। बार अनेक नमामि नमामि ।।
भौमवार कर होम विधाना। धूप दीप नैवेद्य सुजाना।।
मंगल दायक की लौ लावे। जो मन राखे सोइ फल पावे।।
जयति जयति जय जय जग स्वामी। समरथ हौ सब अंतरजामी ।।
अंजनि तनय नाम हनुमाना। सो तुलसी के प्राण समाना।।
जय कपीस सुग्रीव नल जय अंगद हनुमान।
राम लखन सीता सहित सदा करहु कल्याण ।।
बन्दौं हनुमत नाम यह भौमवार परमान।
ध्यान धरै नर निश्चय पावै पद कल्याण।।
जो येह साठिका पढ़े नित तुलसी कहैं बिचारि।
रहै न चिंता ताहि उर साक्षी हैं त्रिपुरारि।।
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