श्रीगुरुदेव जू कौ पद ॥
हरियारौ सावन सुहावनौं मन भावनौं लागत अति नीकौ ।
इन उन बन में बदरनि की छहियाँ गहि बहियाँ
बोलत डोलत बन बन तैसौई संग सबही कौ ॥
जहाँ तहाँ झुलावत झूलत जुगल नवल रीझि रिझावत
आवत अनुराग भरे राग रंग प्यारी पी कौ ।
श्री बिचित्र बिहारिनिदासि कहति दरसत जे यह सुख दिन
धन्य धन्य भाग त्रिया तिनही कौ ॥
@jateridhaam123
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