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केदारघाटी के अलग-अलग हेलिपैड से केदारनाथ के लिए उड़ान भर रहे हेलिकॉप्टर एनजीटी के नियमोें का पालन नहीं कर रहे हैं। हेलिकॉप्टर के लिए तय ऊंचाई 600 मीटर पर कोई भी हेलिकॉप्टर उड़ान नहीं भर रहा है। साथ ही हेली कंपनियां अपने हेलिकॉप्टर की उड़ान के समय, कुल दूरी और ऊंचाई से जुड़ा कोई भी डेटा वन विभाग से साझा नहीं कर रही है।
10 मई से शुरू हुई केदारनाथ यात्रा में इस बार पवनहंस, थंबी, क्रिस्टल, आर्यन, एरो, ट्रांस भारत, ग्लोबल विक्ट्रा और हिमालयन हेली कंपनी के 9 हेलिकॉप्टर गुप्तकाशी, फाटा, शेरसी और सीतापुर के नौ हेलिपैड से उड़ान भरी जा रही है। सभी हेलिकॉप्टर मंदाकिनी नदी के तल से होकर अपनी उड़ान भरते हुए केदारनाथ स्थित एमआई-26 हेलिपैड पर पहुंच रहे हैं। केदारनाथ यात्रा में हेलिकॉप्टर उड़ान के लिए वर्ष 2015 में एनजीटी द्वारा नदी तल 600 मीटर की ऊंचाई को तय किया गया है। लेकिन, इस वर्ष एक भी हेली कंपनी इस नियम का पालन नहीं कर रही है। साथ ही हेलिकॉप्टर की उड़ान से संबंधित किसी भी प्रकार का डेटा एकत्रित नहीं कर रही है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ ने केदारघाटी में आर्यन एविएशन, क्रिस्टल और हिमालयन एविएशन के हेलिपैड का निरीक्षण किया। उन्होंने कंपनी प्रबंधन से यात्रा में अभी तक हेलिकॉप्टर की उड़ान सहित अन्य जरूरी डाटा साझा करने को कहा। लेकिन कंपनी प्रबंधन ने इस प्रकार के किसी भी डाटा एकत्रित करने से इंकार कर दिया। हेली कंपनी प्रबंधन सिर्फ हेलिकॉप्टर की शटल संख्या तक सीमित है। यही नहीं, हेली कंपनी प्रबंधन के पास एनजीटी, यूकाडा और डीजीसीए की गाइडलाइन भी नहीं है। रुद्रप्रयाग वन प्रभाग एवं केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ अभिमन्यु का कहना है कि केदारनाथ सहित बदरीनाथ के लिए उड़ान भर रहे हेलिकॉप्टर व चार्टर नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नदी तल से तय 600 मीटर की ऊंचाई का पालन नहीं होने से वन्य जीव प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही संवेदनशील क्षेत्र में अन्य प्रकार के खतरे बढ़ रहे हैं। हेली कंपनियों से इस बारे में जानकारी मांगी गई। लेकिन उन्होंने कोई जानकारी साझा नहीं की है। इस संबंध में यूकाडा को पत्र लिखकर एक सप्ताह में उचित कार्रवाई के लिए कहा गया है। अन्यथा, विभागीय स्तर से कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
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