अमेरिका ने 2008 में, "प्रोजेक्ट कैसेंड्रा" लॉन्च की. इसका मकसद हिज़्बुल्लाह की सैन्य और आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग में मादक पदार्थों की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के भूमिका की जांच करनी थी. तीन भागों की यह सीरीज इसकी कहानी कहती है.
फ़्रांस, 2010 से शरणार्थी हिज़्बुल्ला लड़ाकों का पसंदीदा देश रहा है. फ़्रांस में रहने के कई फ़ायदे हैं, जिसमें एक बड़े लेबनानी समुदाय में शामिल होने की संभावना और यूरोपीय क्षेत्रों में आने जाने की आज़ादी शामिल है. पेरिस कोकीन व्यापार से धन कमाने का केंद्र बन गया.
अमेरिकी ड्रग एन्फोर्समेंट एजेंसी, डीईए ने फ्रांसीसी पुलिस को आगाह किया. साथ मिलकर उन्होंने ऑपरेशन कैसेंड्रा के एक नए अध्याय की शुरुआत की, जिसका नाम रखा "ऑपरेशन सीडर." एक पेड़ जो लेबनान का प्रतीक है.
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