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वैसे तो चीकू के प्लांट में लगभग साल भर फ्लावरिंग होती है लेकिन फरवरी-मार्च और अक्टूबर-नवंबर यह दो मुख्य फ्लावरिंग सीजन है चीकू के लिए। चीकू के फलों को मेच्योर होने में कम से कम चार महीने लगते हैं । इसलिए फरवरी मार्च में होने वाले फ्लावरिंग सीजन में जो चीकू के फ्रूट्स बनते हैं उनकी हार्वेस्टिंग मई-जून के महीनो में होती है, जबकि अक्टूबर-नवंबर में डिवेलप होने वाले फलों की हार्वेस्टिंग जनवरी-फरवरी में हो पाती है।
साल भर निकलने वाले चीकू के फूल आकर में घंटी नुमा और छोटे होते हैं जिस कारण तेज हवा या आंधी पानी आने पर भी जल्दी खराब नहीं होते हैं और ना ही गिरते हैं। इसलिए चीकू के प्लांट में फूलों के साथ छोटे फल और बड़े फल आपको एक साथ दिखाई देंगे। चीकू के फल मीठे,जायकेदार और मिनरल से भरपूर होते हैं और इंडिया में चीकू की खेती फलों के लिए ही की जाती है, लेकिन दुनिया के कई दूसरे देशों में चीकू की खेती उसके कच्चे फलों के अंदर और तनों की छाल में पाए जाने वाले सफेद रंग के चिपचिपे पदार्थ के लिए किया जाता है जिसे चिकल गम कहते हैं।
चीकू एक ट्रॉपिकल एवरग्रीन प्लांट है और इसकी उम्र काफी लंबी होती है। चीकू के पत्ते चमकदार और हमेशा हरे भरे रहते हैं और गोल-गोल गुच्छों में एक साथ निकलते हैं। चीकू के पौधे में ढेर सारी शाखायें एक के ऊपर एक निकलती हैं और इस वजह से चीकू का प्लांट काफी आकर्षक भी दिखता है। इस शानदार फ्रूट प्लांट को गमले में उगाने संबंधी पुरी जानकारी मैं आपको इस वीडियो में दूंगा। मैं आपको दिखाऊंगा की चीकू के प्लांट को पॉट में कैसे ट्रांसप्लांट करते हैं और यह भी बताऊंगा की किस तरह की मिट्टी लेनी चाहिए, क्या फर्टिलाइजर इस्तेमाल करें, पानी कितना और कब दें, आदि आदि।
Негізгі бет How to grow Chiku/Sapota/Sapodilla in pots? Gradual updates of growth of Chiku plant in a pot.
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