#NiranjanSaar
● कलाम साईं बुल्लेशाह जी :-
हुण मैंनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर। टेक ।
हादी मैंनूं सबक पढ़ाया, ओथे गैर न आया जाया।
मुतलक ज़ात जमाल विखाया, वहदत पाया नी शोर ।
हुण मैंनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर।
अव्वल हो के लामकानी, जाहर बातन दिसदा जानी।
रिहा ना मेरा नाम निशानी, मिट गया झगड़ा शोर ।
हुण मैंनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर।
प्यारा आप जमाल विखाले, मस्त कलंदर होण मतवाले।
हंसां दे हुण वेख लै चाले, बुल्ला कागां दी भुल गई टोर ।
हुण मैंनूं कौण पछाणे, हुण मैं हो गई नी कुझ होर।
KZitem Channel:- / @niranjansaar
Негізгі бет Hun Mainu Kon Pachhane || Kalaam Saaeen BullehShah Ji || Niranjan Saar ||
Пікірлер: 57