इस दरवाजे को खोलते ही महाप्रलय आयेगी । इस दरवाजा के अंदर रखा है , सुदर्शन Padmanabhaswamy
इधर दरवाजा ओपन , उधर दुनिया क्योज यानि दी एंड । कोई कहता है की इस दरवाजे को खोला तो दुनिया में महाप्रलय आ जायेगी है । कोई कहता है की इस दरवाजे के अंदर , प्राचीन समय के घातक हथियार छुपा कर रखे गये हैं तो कहता है की इस इस दरवाजे के अंदर सोना - चांदी , हीरे -मोती आदि के खजाने का भंडार भरा पड़ा है । कयी लोग तो यहां तक बोलते हैं , इस दरवाजे को भगवान कल्कि खोलेंगें और इसमें से हथियार आदि निकाल कर , कलयुग का अंत करेंगें । इस दरवाजे को खोलना तो दूर की बात है , यदि किसी ने ऐसा सोचा भी तो , उसका उधर ही दी एंड हो गया । इस दरवाजे के वारे में यह भी कहा जाता है की इसके अंदर से किसी दूसरे लोक में जाने का रास्ता है । लेकिन जब आप इसकी सच्चायी जानोगे तो , तो आपका भी दिमाग चकरा जायेगा । जानेंगें इस दरवाजे की ए से लेकर जेड तक सारी जानकारी । जो आपने और किसी भी विडियो में नहीं देखी होगी । इसलिए चैनल पर न्यू आए हैं तो प्लीज चैनल को सब्सक्राइब करके साथ में घंटी वाला बैल आइकन जरूर दबा दें तभी आपको न्यू वीडियो का नोटिफिकेशन मिल पाएगा तो चलिए दोस्तों बिना टाइम को बेस्ट किया वीडियो को स्टार्ट करते हैं ।
दोस्तों पहले हम जानते हैं की प्राचीन समय में लोग अपने धन , कीमती चीजों और और कोई ऐसा हथियार जो , गलत हाथों में चला जाये तो दुनिया के लिये खतरा हो सकता है उसे कैसे छुपा कर रखते थे । कहते हैं की महाभारत का 18 दिन चला युद्ध भी अधूरा रह गया था , क्योंकि उसमें बहुत सारे यौद्धाओं की युद्ध करने की इक्षा अधूरी रह गयी थी । इसलिए महाभारत का यह अधूरा युद्ध , कलयुग में कलि युद्ध या कहें की तृतीय विश्व युद्ध के रुप में पूरा होगा । महाभारत के बहुत से यौद्धाओं ने भी अपने अस्त्र - शस्त्र कहीं गुप्त स्थानों पर छुपा कर रखें । माना तो यह भी जाता है की भगवान श्री कृष्ण ने भी अपने सुदर्शन चक्र को किसी गुप्त स्थान पर छुपा कर रखा हुआ है । जब किसी कीमती वस्तु को छुपाया जाता था तो उसे एक विशेष मंत्र के द्वारा बांध कर नाग या भूतों की चोकी लगाई जाती थी । इसी तरह खजाना छुपाने की परंपरा भी भारत में प्राचीन काल से ही रही है । राजा-महाराजा, पंडित-पुरोहित और सेठजनों के पास जरूरत से ज्यादा धन-संपत्ति होती थी, तो वे उन्हें दूसरे राज्य के राजा और लुटेरों से बचाने के लिए उसे कहीं छिपाकर रखते थे। इसके अलावा लुटेरे भी लूटी गई संपत्ति को आपस में बांटकर फिर उसे कहीं छिपाकर रख देते थे। इसके अलावा आमजन भी अपनी संपत्ति को घर या खेत में गाड़ देते थे। कुछ तो आंगन में गाड़कर उसके ऊपर झाड़ उगा देते या गेहूं की खंडार बना देते। राजा तो अपने खजाने को छिपाने के लिए बाकायदा बड़ी-बड़ी सुरंगें या तहखाने बनाते थे। कुछ तो लंबी-चौड़ी बावड़ियां बनाते थे जिसमें पानी के बहुत अंदर जाने के बाद नीचे गुफा या सुरंगों का निर्माण करते थे, जहां वे सोना चांदी और हीरे जेवरात रखते थे और फिर बाहर से उस सुरंग को बंद कर देते थे। आज भी ऐसी कई बावड़ियां और तहखाने हैं जिनके बारे में कोई नहीं जानता है । एक बावड़ी से दूर 20-25 किलोमीटर पर दूसरी बावड़ी होती थी, जो पहली से सुरंग के माध्यम से जुड़ी रहती थी। यह खजाना छिपाने और दूसरे राजाओं के आक्रमण के बाद भागने के काम आती थी। हिन्दू समाज के बंजारा समुदाय को 'खानाबदोश' मानवों का समुदाय कहा जाता है, जो एक ही स्थान पर बसकर जीवन-यापन करने के बजाय एक से दूसरे स्थान पर निरंतर भ्रमणशील रहते हैं। इस समाज को दुनिया के बहुत से रहस्यों का पता रहता है। बंजारा समुदाय के लोगों और आदिवासियों के पास भी बहुत मात्रा में सोना, चांदी और जेवरात होते थे। वे उनकी सुरक्षा के लिए अपने डेरे से कहीं दूर जमीन में गाड़ देते थे और उस स्थान पर अपनी कोई 'निशानी' बना देते थे या कुछ लोग उक्त स्थान पर किसी 'देवता' की स्थापना कर देते या पीपल या बड़ का झाड़ लगा देते थे। पहले उनकी महिलाओं को सोने से लदी देखा जा सकता था, लेकिन अब नहीं। कहते हैं कि बंजारा या आदिवासी समाज अपने धन को जमीन में गाड़ने के बाद उस जमीन के आस-पास तंत्र-मंत्र द्वारा 'नाग की चौकी' या 'भूत की चौकी' बिठा देते थे जिससे कि कोई भी उक्त धन को खोदकर प्राप्त नहीं कर पाता था। और जिस किसी को उनके खजाने का पता चल जाता और वह उसे चोरी करने का प्रयास करता तो उसके सामना नाग या भूत से होता था। कहते हैं पिंडारियों के पास भी अथाह सोना था, जो उन्होंने व्यापारियों से लूटा था। भारतीय इतिहास की बीती दो सदियां लुटेरे पिंडारी या ठगों की करतूतों से रंगी हुई हैं।
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