इसलिए की जाती है चौथे दिन कूष्मांडा देवी की पूजा
पुराणों के अनुसार, तारकासुर के आतंक से जगत को मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव के पुत्र का जन्म होना जरूरी था। इसलिए भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया। इसके बाद देवताओं ने देवी पार्वती से तारकासुर से मुक्ति के लिए प्रार्थना की, तो माता ने आदिशक्ति का रुप धारण किया और बताया कि जल्दी ही कुमार कार्तिकेय का जन्म होगा जो तारकासुर का वध करेगा।
देवी कूष्मांडा की कथा
देवी पुराण के अनुसार, सृष्टि के जन्म से पहले अंधकार का साम्राज्य था। उस समय आदिशक्ति जगदम्बा देवी, कूष्मांडा के रुप में सृष्टि की रचना के लिए जरूरी चीजों को संभालकर सूर्य मण्डल के बीच में विराजमान थी। जब सृष्टि रचना का समय आया तो इन्होंने ही ब्रह्मा विष्णु और शिव जी की रचना की। इसके बाद सत्, रज और तम गुणों से तीन देवियों को उत्पन्न किया जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली के रूप में पूजी जाती हैं।
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