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जब भगवान शिव पर आई विपत्ति तो पूर्ण परमेश्वर ने बचाया | Shiva Ji 2D Story | Sant Rampal Ji Animation,
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Trailer | कौन है शिव से भी समर्थ | Factful Debates |
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1. एक बार एक भस्मागिरी नाम का शिव जी का भक्त था। उसने शिव जी के लोक के द्वार के सामने जाकर अपनी शिव जी की साधना करनी शुरू कर दी। भस्मागिरी ने शीर्षासन योग मुद्रा में भगवान शिव जी की साधना करनी प्रारम्भ कर दी।
2. कुछ दिनो की तपस्या के बाद माता पार्वती देवी भगवान शिव जी से कहा कि
P: हे स्वामी, आपका यह भक्त कई दिनों से आपकी उपासना में लीन है। इसका क्या अभीष्ट है? उसे संतुष्ट कीजिये भगवन।
S: उठो भष्मागिरी, में तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हूँ। बोलो क्या चाहिए तुम्हे।
B: प्रभु, पहले आप वचन बद्ध होइए, तब माँगूँगा।
S : ठीक है। हो गया वचन बद्ध। बोलो क्या चाहते हो।
भष्मागिरी ने अपनी शीर्षासन योग मुद्रा त्यागी ओर सीधा खड़ा होकर बोला।
B: भगवन, मुझे आपका ये भस्म कड़ा दे दीजिए।
3. भगवान शिव जी के पास एक ऐसा कड़ा था जिसे अगर किसी भी जीव के सिर के उपर लाकर भष्म बोल दे तो वह भष्म हो जाता था। भगवान शिव ने विचार किया कि साधु आदमी है और जंगलों के रहता है। तपस्या के दौरान जंगली जानवरो से अपनी रक्षा के लिए लेता होगा। शिव जी ने अपना कड़ा निकाल कर भष्मागिरी को देना पड़ा क्योंकि वचन बद्ध भी हो गए थे।
4. भक्त भस्मागिरी ने भष्मकंडा ले लिया।
B: अब मरने के लिए तैयार होजाओ भोलेनाथ। में तुम्हे मारूँगा ओर पार्वती को अपनी पत्नी बनाऊंगा। इसीलिए मैंने यह कड़ा आपसे लिया है। हा हा हा....
ऐसा कहकर जोर जोर से हँसने लगा।
भगवान शिव जी डर गए और अपनी जान बचाने के लिए वहां से भाग निकले। भस्मागिरी भी मारने के लिए पीछे पीछे दौड़ पड़ा। दोनो अपनी पूरी गती से भाग रहे थे।
भगवान शिव जी परमात्मा को याद कर रहे थे।
5. पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी भगवान शिव जी की जान बचाने के लिए आते है। कबीर साहेब जी ने माता पार्वती का रूप बनाया और दोनों के बीच कुछ हटकर खड़े हो गए। कबीर साहेब ने भष्मागिरी को अपनी और बुला लिया। भष्मागिरी भी पहले उधर ही चला गया।
B: चलो पहले पार्वती से मिल लेता हूं, शिव तो वैसे भी यहां नही आने वाला।
P: आप तो बड़े चतुर निकले।
लेकिन आप मुझे कुछ नृत्य करके दिखाओ ताकि में आपसे प्रसन्न होउ।
B: लेकिन में तो तापश्वि आदमी हु। मुझे नृत्य नही आता। मैने कभी नृत्य नही किया।
P: कोई बात नही, चलो में सिखाती हूं।
परमात्मा नृत्य सीखने का नाटक करने लगे।
6. नृत्य सीखाने के दौरान जब भस्मागिरी का भस्मकंडे वाला हाथ सिर के ऊपर आया तो पार्वती रूप में परमेश्वर ने कहा
P: भष्म।
इतना कहते ही भस्मागिरी वही भष्म हो गया और कड़ा तथा राख शेष बची थी। परमात्मा ने विष्णु भगवान का रूप बनाया और कड़ा लेकर शिव जी के आगे कुछ दूरी पर खड़े हो गए। भगवान शिव जी भागे जा रहे थे।
विष्णु रूप में परमात्मा ने पूछा
V: क्या हुआ भोलेनाथ? कहा भागे जा रहे हो? कोई विपत्ति आ गई क्या?
7. S: भागलो विष्णु, भागलो। एक दुष्ट साधक ने मेरा भष्म कड़ा छीन लिया।
भागते भागते ही सारी बात बता दी।
तब विष्णु रूप में विराजमान कबीर साहेब ने कहा
V: भोलेनाथ, ये लो तुम्हारा कड़ा।
S: अरे? नही नही। ये वो कड़ा नही हो सकता।
V: अरे भाई, ये वही है, और भस्मासुर अब नही रहा।
S : ऐसा कैसे हो सकता है? ऐसा क्या किया आपने।
V: भाई मैने पार्वती रूप बनाकर उसे नृत्य का नाटक करवाया और छीन लिया।
परमात्मा ने उसे पूरी वारदात सुनाई।
V: आजा तुझे उसकी राख दिखाता हु। ये देख,
8. जब भगवान शिव ने भस्मासुर की राख देख ली तब विष्णु रूप में विराजमान परमात्मा की बातों पर विश्वास किया।
तब जाकर मृत्युंजय, अविनाशी, सर्वेश्वर तथा अन्तर्यामी कहलाने वाले भगवान शिव की धड़कने धीमी हुई।
Негізгі бет शिव जी की अनसुनी 2D Cartoon Story | कौन है शिव जी से भी समर्थ | कबीर साहेब ने बचाया भगवान शिव को
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