सावन का महीना शुरू हो गया है, इस पूरे महीने में भगवान शव की आराधना की जाती है..आज हम आपको बताने जा रहे हैं कांवड यात्रा का अर्थ और कांवडियों के लिए निर्धारित किये गये नियमों के बारे में..कंधे पर गंगाजल लेकर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों पर चढ़ाने की परंपरा, 'कांवड़ यात्रा' कहलाती है। कहते हैं यह भक्तों को भगवान से जोड़ती है। महादेव को प्रसन्न कर मनोवांछित फल पाने के लिए कई उपायों में एक उपाय कांवड़ यात्रा भी है, जिसे शिव को प्रसन्न करने का सहज मार्ग माना गया है। वैसे तो कांवड़ शब्द के कई मायने हैं। एक अर्थ यह भी है- क यानी ब्रह्म (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) और जो उनमें रमन करे वह कांवड़िया जो नियमों का सम्यक पान करके अपने आपको इन देवों की शक्तियों से संपूरित कर दे। कांवड़ तब बनती है, जब फूल-माला, घंटी और घुंघरू से सजे दोनों किनारों पर वैदिक अनुष्ठान के साथ गंगाजल का भार पिटारियों में रखा जाता है। धूप-दीप की खुशबू, मुख में 'बोल बम' का नारा, मन में 'बाबा एक सहारा।' भोले नाथ कांवड से गंगाजल चढ़ाने से सबसे ज्यादा प्रसन्न होते हैं। इसके पीछे मान्यता यह भी है कि जब समुद्रमंथन के बाद 14 रत्नों में विष भी निकला था और भोलेनाथ ने उस विष का पान करके दुनिया की रक्षा की थी। विषपान करने से उनका कंठ नीला पड़ गया और कहते हैं इसी विष के प्रकोप को कम करने के लिए, उसे ठंडा करने के लिए शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है और इस जलाभिषेक से शिव प्रसन्न होकर आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कहा जाता है कि कांधे पर कांवड़ रखकर बोल बम का नारा लगाते हुए चलना भी काफी पुण्यदायक होता है। इसके हर कदम के साथ एक अश्वमेघ यज्ञ करने जितना फल प्राप्त होता है।
#KawadYatra2019
#Haridwar
#Kawad
#kawadiya
For More Videos please visit the link below :- / @shabdbaan
Негізгі бет जानें, कांवड़ का अर्थ और कांवड़ियों के लिए कैसे-कैसे नियम Kawad Yatra 2019
Пікірлер: 111