❤जीवनी हजरत मुहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम, लेखक - मुहम्मद इनायतुल्लाह सुब्हानी, पृष्ठ नं. 307 में प्रमाण है कि हजरत मुहम्मद जी ने मुसलमानों को खून-खराबा ना करने तथा ब्याज तक भी नहीं लेने का सन्देश दिया है। फिर भी मुस्लमान धर्म में मांस का भक्षण किया जाता है #TheLifeOfProphetMuhammad Allah Kabir❤
@yogitajoshi4024
Жыл бұрын
सुनकर नाम कबीर का थर थर कापे काल। नाम भरोसे जो रहे उसका होवे न बका बाल।।🙏🙏
@kamindrasingh6520
2 жыл бұрын
Kabir. Is. Gog
@diwakarkumar2679
2 жыл бұрын
Sat shaheb mlick
@shailendrasingh3017
10 ай бұрын
☢️☢️☢️व्रत करना गीतानुसार कैसा है? जानने के लिए अवश्य सुनें पवित्र पुस्तक "गीता तेरा ज्ञान अमृत पवित्र पुस्तक "गीता तेरा ज्ञान अमृत" से जानिए कि कैसे चौरासी लाख प्रकार के जीवों से मानव देह उत्तम है।
@shailendrasingh3017
10 ай бұрын
🖍🖍🖍अल्ल्हा तो बेचून है जिसने छ: दिन में सृष्टि रची ओर सातवे आसमान पर जा पहुंचा कुरआन ज्ञान दाता अपने से अन्य कादर अल्लाह की महिमा बताता है। सूरः अस् सज्दा-32 आयत नं. 4 :- वह अल्लाह ही है जिसने आसमानों और जमीन को और उन सारी चीजों को जो इनके बीच है, छः दिन में पैदा किया और उसके बाद सिंहासन पर विराजमान हुआ। उसके सिवा न तुम्हारा कोई अपना है, न सहायक है और न कोई उसके आगे सिफारिश करने वाला है। फिर क्या तुम होश में न आओगे। अल्लाह का आदेश मांस खाने का नहीं है ,कुरआन मजीद में माँस खाने की आज्ञा है, परंतु सृष्टि की उत्पत्ति करने वाले कादर अल्लाह ने बाईबल ग्रंथ में उत्पत्ति विषय के अध्याय में मनुष्यों के खाने के लिए बीज वाले छोटे-छोटे पेड़ (पौधे) तथा फलदार वृक्षों के फल बताए हैं। मांस खाने के लिए नहीं। हजरत मुहम्मद जी मांस नहीं खाते थे। गरीब, नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहाया। एक लाख अस्सी कूं सौगंध, जिन नहीं करद चलाया।। संत गरीबदास जी ने कहा है कि नबी मुहम्मद जी को मेरा नमस्कार (सलाम) है। वे (राम) अल्लाह के (रसूल) संदेशवाहक कहलाए। बाबा आदम से लेकर अंतिम नबी हजरत मुहम्मद जी तक एक लाख अस्सी हजार नबी हुए हैं तथा जो उनके अनुयाई उस समय थे, कसम है उन्होंने छुरी चलाकर जीव हिंसा नहीं की।
@lcmehra3698
2 жыл бұрын
Rampal to sattebaji dhoorat frebi hai abhi jail me sadega poori jindagi for his misdeeds and çrimes Befooling innocent people
@yogitajoshi4024
9 ай бұрын
सुख सागर का शील है, कोई न पावे थाह। शब्द बिना साधू नहीं, द्रव्य बिना नहीं शाह।।
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