संतन को पुंजो नही, बात सुनो । पैंरोपर झुको नहीं, याद सुनो ॥ संतों की बातोपर अमल करो । तन-मन से ध्यान लगा सफल करो । एक हि क्यू सुनते सब साथ सुनो ॥१॥ तिलक फुल माल चढा सर को झुकाना । आज्ञा के पालन को दूर भगाना । इसी को हि कहते है ध्यात सुनो ॥२॥ संतो का ग्यान यही पुजा है । झुक गये तो फिर न रही दुजा है । मिल जाओ ज्योत मे भली-भाती सुनो ॥३॥ शिष्य बनो तो भी उनके होके बनो । प्रेमी बनो तो भी सत्य लेके बनो । तुकड्या कहे बात ये दिन रात सुनो ॥४॥
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