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@sridharahullumane4558
3 ай бұрын
I feel every high school student need to know THIS..... Share as much as you can.....
@biswajeet9826
3 ай бұрын
Many of them are...
@sudhasreenivasan9557
3 ай бұрын
good session as always from mr sai deepak. however I notice his videos are many a time shacky or low volume..
@sebastianouseph
3 ай бұрын
If Hindus become proud of Bharat and decide to unite, Bharat (including Muslims, Christians and all other faiths) would be the safest place on this planet......
@pjane9231
3 ай бұрын
God helps them who help themselves!! Nature's design is survival of the fittest adaptability and ability to exploit the available resources... Hindus will survive only if they will be willing to fight to win and stay on the top!!
@pjane9231
3 ай бұрын
*आज से लगभग 10 साल पहले मैं मानता था कि "मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर करना" पर कुरान पढ़ने के बाद मेरे विचार सिर के बल पलट गये। इसका कारण कुरान की ये सूरा आयतें हैं। आप भी पढ़िए और सबको बताइये :-* *सूरा आयत 2:98 -* अल्लाह गैर मुस्लिमों का शत्रु है ! *सूरा आयत 3:85 -* इस्लाम के अलावा कोई अन्य धर्म/मजहब स्वीकार नहीं है ! *सूरा आयत **8:12** -* इस्लाम को इंकार करने वालों के दिलों में अल्लाह खौफ भर देगा और मुसलमानों तुम उनकी गर्दन पर वार करके उनका अंग-अंग काट दो ! *सूरा आयत 3:118-* केवल मुसलमानों को ही अपना अंतरंग मित्र बनाओ ! *सूरा आयत **3:28** और **9:23**-* गैर मुस्लिमों को दोस्त न बनाओ ! *सूरा आयत **8:39** -* गैर मुस्लिमों से तब तक युद्ध करो जब तक कि अल्लाह का दीन पूरी तरह कायम न हो जाए ! *सूरा आयत **22:30**-* मूर्तियाँ गन्दगी हैं ! *सूरा आयत 9:5 -* मूर्तिपूजकों को जहाँ और जैसे पाओ वहाँ घात लगा कर मार दो ! *सूरा आयत 33:61-* मुनाफिक और मूर्तीपूजक जहाँ भी पकड़े जाएंगे बुरी तरह कत्ल किये जायेंगे ! *सूरा आयत 3:62,2:255,27:61और 35:3 -* अल्लाह के अलावा कोई अन्य प्रभु पूज्य नहीं है ! *सूरा आयत 21:98 -* अल्लाह के सिवाय किसी और को पूजने वाले जहन्नुम का ईंधन हैं ! *सूरा आयत **9:28** -* मूर्तिपूजक नापाक(अपवित्र)हैं ! *सूरा आयत 4:101 -* काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं ! *सूरा आयत 9:123 -* काफिरों पर जुल्म करो ! *सूरा आयत **9:29** -* काफिरों को अपमानित कर उनसे जजिया कर लो ! *सूरा आयत 66:9 -* काफिरों और मुनाफिकों से जिहाद (जंग)करो ! *सूरा आयत **4:56** -* आयतों को इंकार करने वाले की खाल पकायेंगे ! *सूरा आयत 8:69 -* लूट का सब माल (स्त्रियों सहित) हलाल है ! *सूरा आयत **9:14** -* अल्लाह मोमिनों के हाथों काफिरों को यातना देगा ! *सूरा आयत **8:57** -* युद्ध-बन्दियों पर नृशंसता करो ! *सूरा आयत **32:22**-* इस्लाम छोड़ने वालों से बदला लो ! _______ अब इतना जानने के बाद जो लोग कहते हैं कि कोई भी मजहब गलत नहीं सिखाता है, वे या तो खुद गलत हैं या उन्हें कुरान और इस्लाम के बारे में कुछ पता ही नहीं है। *वास्तव में कुरान ही आतंकवाद की जड़ है। ये वाक्य मेरे नहीं मुस्लिम समाज की विद्वान महिला "तसलीमा नसरीन" के हैं।* इस्लाम दीन ए हक है यह डकैती, लूट पाठ, बलात्कार, कत्ल, नरसंहार, आगजनी, गुलामी, बाल उत्पीड़न, महिला उत्पीड़न, और सभ्यताओं को नष्ट करने का हक देता है जिन हिन्दुओं को ये आयतें फर्जी लगती हों, वे कुरान डाउन लोड करके इन्हें चेक कर लें। ये अज्ञानी/अन्धे सेक्यूलर आधी-अधूरी जानकारी लेकर जान-बूझ कर समाज में भ्रम फैलाया करते हैं!!
@nagarajakm6374
3 ай бұрын
Sanaatana dharma ki jai We teach the younger students are taught to Sanaatana dharma samskruti and sanskaar fundamental right knowledge of Hindu samskruti and mythological facts history to rewrite of Bharath desh & dharma..... Hindu rashtriyathe .....🙏
@Spoidormon099
3 ай бұрын
Support #ExMuslim 💎💎💎💎
@rajendharan1199
3 ай бұрын
Since 1947 congress rulling party make the plan that in future india will changed as muslims community desh by Ex PM Jawahar ulla Khan @ Jawahar Lal Nehru was declared india secularism for all religions.Due to that we are facing till.Jai shree Ram
@pjane9231
3 ай бұрын
इस्लामी ईश्वर अल्लाह की दोषपूर्ण अवधारणा। अल्लाह एक क्रूर ईश्वर है, उसके पास कई योग्यताएँ नहीं हैं, वह जुनूनी है, वह अपने विश्वासियों पर निर्भर है, और शैतान का अस्तित्व पर भी निर्भर है, उसकी रचना गैर-चक्रीय नॉन साइक्लिकल दोषपूर्ण है जिसके लिए उसके निरंतर हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है जो अपने आप संचालित करने में सक्षम नहीं है। वह लोगों को गुमराह करता है, वह ईर्ष्यालु है, अनुचित रूप से गुलामी, बलात्कार, हत्या, तबाही और उन लोगों पर अभिशाप को अधिकृत करता है जो अन्य देवताओं की पूजा करते हैं या एक अलग आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हैं। इस्लाम के अनुसार ईश्वर का एक निश्चित रूप है, वह निराकार नहीं है उसके पास एक शरीर है जो किसी भी जीव जंतु जैसा नहीं है; उसके निश्चित गुण हैं और उसका एक निश्चित शरीर है। वह समस्त रचनाओं में विद्यमान होने के काबिल नहीं है उसके गुणों की सीमाएं हैं वह सभी वस्तु एवं स्थान में निवास करने में सक्षम नहीं है। कुरान द्वारा रचा गया अल्लाह का शाब्दिक स्वरूप भी तो एक मूर्ति है मूर्ति क्या है? मूर्ति एक अभिव्यक्ति का आधार है, यह हमारे आदर्श हमारे हमारे विचार एवं हमारी भावनाओं हमारे आदर्श को व्यक्त करने का एक जरिया है। मूर्ति किसी चीज़ की अमूर्त अभिव्यक्ति भी है। ... (इस प्रकार जो लोग मूर्ति पूजा से घृणा करते हैं, वे स्वयं मूर्तिपूजक हैं और उनके पास बस एक दोषपूर्ण धारणा/मानसिकता, दोषपूर्ण दर्शन, दोषपूर्ण शिक्षा है जिसके कारण वे मूर्ति पूजा से घृणा करते हैं) हर वह चीज़ जिसमें निश्चित या विकसित होने वाली विशेषताएँ या गुण हैं, उसे मूर्ति या प्रतीकों के रूप में दर्शाया जा सकता है। केवल भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं में निर्गुण और निरंकार यानी बिना किसी रूप या गुण के ईश्वर की अवधारणा है, जिसके परिणामस्वरूप केवल हिंदू ही मूर्ति रहित या खाली परदे वाले सच्चे निराकार गुणहीन ईश्वर की पूजा करने में सक्षम हैं। हिंदू अमूर्त निराकार ब्रह्म की पूजा करते हैं, अमूर्त रूप अप्रकट ईश्वर जिसके गुण तब तक छिपे रहते हैं जब तक वह अपनी रचना के रूप में खुद को व्यक्त नहीं करता। वह एकता का बिंदु है, ब्रह्मांडीय वास्तविकता जिसमें हर गुण, हर संभावना, वास्तविकता के सभी रूप सीमित रहते हैं। जब तक वह अपनी अभिव्यक्ति के माध्यम से खुद को व्यक्त नहीं करता। हिंदुओं के अनुसार सब कुछ ब्रह्म से उत्पन्न हुआ है और बहुत कुछ है जो अभी भी उसी में सीमित है, यह सब ब्रह्मांड उस की ही अभिव्यक्ति है, फिर चाहे वह मूर्त पदार्थ के रूप में हो या अमूर्त चीजों और गुणों के रूप में, जैसे समय, स्थान और सूचना, ये सभी ईश्वर के ही गुण हैं, हिंदुओं को मूर्ति पूजा के प्रति कोई घृणा या आपत्ति नहीं है। हिंदू धर्म के अनुसार ईश्वर की कोई छवि नहीं है, लेकिन वह किसी भी रूप, किसी भी आकार, किसी भी स्थान, किसी भी वस्तु एवं प्रत्येक वस्तु में विद्यमान रहने में सक्षम है। ( मूर्तियां मनुष्यों द्वारा बनाई गई ईश्वर की अवधारणा ईश्वर की छवि के सर्वप्रथम प्रतीक है ईश्वर के गुणों शक्ति एवं उपकरणों को नियोजित करने का माध्यम है)
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