यहा आपको प्रतिदिन कीर्तन मिलेंगे
केवल अपने सदगुरु महाराज जी के चरणों के रूप ध्यान से ही सम्पूर्ण रूप ध्यान का फल मिल जाता है।
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जाउँ गुरु, चरण-कमल बलिहार
जिन चरनन की शरण गहत मन,
पावत युगल-विहार।
जिन चरनन को ध्यान धरत मन,
मिटत जगत अँधियार।
जिन' चरनन अनुकंपा जग महँ,
रहत न रह संसार।
जिन चरनन-रज आँजि चराचर,
दीखत नंदकुमार।
यदपि 'कृपालु' भेद नहिं हरि-गुरु,
तदपि गुरुहिँ आभार॥
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भावार्थ- मैं सद्गुरु महाराज के चरण-कमलों पर बलिहार जाता हूँ।
उन चरणों की शरण ग्रहण करके मन श्यामा श्याम का रास-विहार-रस पाता है एवं उन चरणों की कृपा से ही अज्ञानांधकार सदा को समाप्त हो जाता है।
उन चरणों की धूलि को श्रद्धापूर्वक आँखों में लगाने से श्यामसुन्दर का दिव्य दर्शन प्राप्त होता है।
श्री 'कृपालु' जी कहते हैं कि गुरु एवं हरि में यद्यपि भेद नहीं हैं तथापि गुरु द्वारा ही हरि की प्राप्ति होने के कारण गुरु प्रति विशेष आभार है।
श्रीमद् सदगुरु सरकार की जय
परोपकार के लिए जलहीन मछली की तरह छटपटाने वाले श्री कृपालु महाप्रभु
- 'विश्व-शान्ति' के संवाहक जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज इस युग के परमाचार्य हैं, जिन्हें काशी विद्वत परिषत द्वारा 'निखिलदर्शनसमन्वयाचार्य' की उपाधि से विभूषित किया गया है। श्री कृपालु जी महाराज ने अपने पूर्ववर्ती समस्त मूल जगदगुरुओं तथा संतों के मतों का समन्वय करते हुये अन्यान्य धर्मग्रंथों, धर्मानुयायियों को दिव्य प्रेम का सन्देश देकर सबको एक सूत्र में बाँधकर आपसी झगड़े समाप्त करके श्रीकृष्ण भक्ति रूपी एक सार्वभौमिक मार्ग का प्रतिपादन किया, जो सभी धर्मानुयायियों को मान्य है।
गुरु से लगा दे बुद्धि गोविंद राधे।
बुद्धि से चला दे मन लक्ष्य दिला दे।।
॥ रूपध्यान कीजिये ॥
रूपध्यान करते समय भगवान् की जिस लीला में जाना चाहो, चले जाओ तथा उनके दिव्य मिलन व दर्शन के लिए तड़पन पैदा करो। लाख - लाख आसूँ बहाओ लेकिन किसी भी आसूँ को तब तक सच्चा न मानो , जब तक स्वयं श्यामसुंदर आकर अपने पीताम्बर से आँसुओं को न पोंछें। इतनी व्याकुलता पैदा करो कि नेत्र और प्राणों में बाजी लग जाये , पल-पल युग के समान लगे॥
चाहत कृपालु मेरी तेरी ही कहलाए
भूले भटके कबहु तव सेवा मिल जाए
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यह ध्यान रखिए कि जब कोई महापुरुष बोल रहा हो तो बहुत ध्यान से प्रत्येक क्षण समाहित चित्त होकर उसकी आवाज को सुनिए ,
उसकी आवाज में अलौकिक ता होती है।
जितना ध्यान से आप सुनेंगे ,उतना अपने अन्तःकरण में प्रेम का अंकुर पैदा कर पाएंगे।
~ जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज
श्रीमद् सदगुरु सरकार की जय 🙏🌷🌺🌹
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