#जीवित रहते यह वीडियो देख ले नही तो पछताना पड़ेगा
#इस से विराट कार्य धरती पर और कोई नहीं है
#Swami Aalok Jiहम किसी विराट कार्य के लिए जब चलते हैं तो घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं जब भी हम कहीं बाहर जाते हैं तो हमारे घर में माता-पिता है दादा दादी हैं हम इस धरती के विराटतम कार्य के लिए आगे बढ़ते हैं जिसका नाम है परम ज्ञान को उपलब्ध हो जाना आप चाहे परम सत्य होश निरवाण कुछ भी नाम दे सकते हैं संतो के आशीर्वाद बड़ों के आशीष और गुरुओं की कृपा इसमें बहुत जरूरी है आप जिनको भी प्रेम है आप उनको पुकारे आप देखेंगे की पूरी गुरु सत्ता आपकी सहायता के लिए हाजिर हो जाएगी आपको शिव से प्रेम है नानक से प्रेम है बुद्ध से प्रेम है अपने गुरु से प्रेम है आप किसी एक को भी पुकारे वह अपने आप इंतजाम करेंगे कि आपकी सहायता के लिए किसको भेजना है आप इसकी चिंता ना करें कि आपने शिव को पुकारा है और आपका काम कृष्ण से है पूरी गुरु उसका एक है हमारे पास ऐसी आंखें नहीं है कि हम यह देख सके कि वह एक है भगवान कृष्ण से लेकर ओशो तक पूरी गुरु सता एक ही है आप किसी एक को पुकार सकते हैं पूरी गुरु सता आपके लिए हाजिर है गुरु ग्रंथ साहिब में कहां गया है
गुरु गुरु एक भेष अनेक
ओशो के प्रवचन श्रृंखला है जिसमें उन्होंने कहा है
सभे सयाने एक मत
उनकी एक ही बात
जो जाने सो कह गए
उनकी एक ही जात
कौन है सयाना जिसने समाधि को जान लिया जिसे सिक्के को जान दिया जो परमात्मा की उन्मुख होकर चल पड़ा जो समाधि में लीन है जो हकीकत में सत्य की ओर उन्मुख चल पड़ा कौन है बचकाना जो अभी भी अंधेरे में जी रहा है जिसके अंदर अभी भी परमात्मा की प्यास पैदा नहीं हुई और जो परमात्मा की तरफ चल पड़ा वह सबसे आने उनकी एक ही बात है एक ही जात है उनका एक हि मत है
सब यही कहते है
उत्थे अमला ते हुंदे ने नमेहड़े, किसी ना कोई जात पूछनी
मृत्यु के बाद आत्मा तीन दिन तक इस घर में रहती है और फिर सब लोग प्रार्थना करते हैं की अब आप शरीर से बाहर आ गए हैं अब आप अनंत की यात्रा पर निकले अब आप अपनी यात्रा की तरफ ध्यान दें और फिर आत्मा वहां से चली जाती है चौथे दिन कुछ आत्माएं 13 दिन तक घर में रहती है आत्मा उनको सांत्वना देने की कोशिश करती है पर वह सारे दुखी लोग इस चीज को पहचान नहीं पाते हैं फील नहीं कर पाते हैं आप इतने डिप्रेशन और दुख से भरे हैं कि आत्मा की प्रसेंस को फील नहीं कर पाते हैं दो तरीके से दिवगंत आत्मा को श्रद्धांजलि दी जा सकती है एक तो दुख में और दूसरा धन्यवाद में उनको प्रार्थना करें की अगले जन्म का चुनाव आप सोच समझकर करना कि अगले जन्म में आपको संतों की सभा मिल जाए और आपकी बात सुनी जाएगी आत्मा लोक में जाने के बाद आत्मा की रिपेयरिंग होती है संत आपके बीच में खड़ा करते हैं और आपसे पूछते हैं किचन मिशन आप धरती पर लेकर गए थे वह पूरा किया या नहीं क्योंकि हर समय आपकी जिंदा रहते वीडियो रिकॉर्डिंग चल रही है और जब मरेंगे तो वह सारे संत आपको वीडियो रिकॉर्डिंग दिखाएंगे कि देखो कब-कब आपने क्या-क्या किया तब आप शर्मिंदा हो जाएंगे कि आप क्या करने आए थे और क्या-क्या किया और वहां आपके साथ कोई भी नहीं होगा और वहां आप किसी को भी दोष नहीं दे पाएंगे क्योंकि सब कुछ आपने मांग की लिया होता है क्योंकि मांगते वक्त आपको पता होता है कि यह दुख मुझे जगाने के लिए है वहां आपको फिर से याद आएगी कि अपने जीवन के लिए केवल और केवल आप उत्तरदाई हैं ओनली एंड ओनली यू आर रिस्पांसिबल for your all life इसलिए कहते हैं आओ गोविंद से प्रीति का नाता जोड़ते हैं परमात्मा हर किसी को विवेक नहीं देता हर किसी को समझ नहीं देता गुरु ग्रंथ साहिब में जितने भी वानियां हैं उन सब को इकट्ठा करना सलग्न करना जिस महान संत ने यह कार्य किया उनका नाम है गुरु अर्जन देव जी भारतवर्ष के जितने भी हिंदू हैं वो एक इंसान के ऋणी है जिनके कारण मंदिर बच्चे हैं जिनके कारण वह पूजा कर सकते हैं वह एक इंसान के कारण है अगर वह एक इंसान मुगलों के सामने ताकत बनकर न खड़ा होता तो धरती पर एक भी मंदिर नहीं होता और उनका नाम है पांचवें गुरु बादशाह अर्जुन देव सिंह लेकिन भारतवर्ष में वास्कोडिगामा के बारे में पढ़ा जाता है कोलंबस के बारे में पढ़ा जाता है अंग्रेजों के बारे में पढ़ाया जाता है मुगलों के बारे में पढ़ाया जाता है लेकिन गुरु अर्जन देव के बारे में नहीं पढ़ाया जाता 21 लाख की सेवा को 20 सिपाहियों ने ढेर करके रख दिया गुरु गोविंद सिंह के बारे में और गुरु तेग बहादुर जी के बारे में हमको नहीं पढ़ाया जाता हमको हमारे देश भक्तों के बारे में नहीं पढ़ाया जाता ऐसी प्रीत करो मन मेरे आठ पहर संग जानहूं तेरे यह कैसे होगा कि 24 घंटे आप परमात्मा को अपने साथ फील कर सके भाव दिशा अपने अंदर लेकर आए थोड़ी संवेदनशीलता लाये मां को जीवित रहने के लिए कोई वासना चाहिए गुरु अर्जन देव जी कह रहे हैं मन को परमात्मा का विषय दे दो हे मेरे प्यारे मन तुम परमात्मा के बारे में सोचो रोज सिंचन करना पड़ेगा सिंचाई करनी पड़ेगी रोज अभ्यास करना पड़ेगा तो कहीं जाकर परमात्मा तक पहुंच पाओगे अपने मन को प्रशिक्षित करो
उम्र भूल जाओ युवा बनो
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