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1. भाग 2 तक आपने देखा की बल्ख बुखारा का बादशाह एक पाठशाला से आदम फकीर के गरीब बच्चे को अपने महल में ले जाता है। आदम बच्चे को लाने महल में जाता है और पूरी सच्चाई बता देता है। उधर से राजा उस छोटे से बच्चे को ही उस गद्दी का राजकुमार नियुक्त कर देता है और उसका नाम इब्राहीम इब्न सुल्तान अधम रख देता है।
3. सुल्तान अधम का एक धार्मिक पीर भी था। बादशाह उसका बहुत आदर करता था। लेकिन वह पीर एक लालची मुल्ला था।
4. बादशाह के पास एक बहुत सुंदर अंगूठी थी बादशाह रोज उसे अवश्य पहनता था।
बादशाह के पीर जी को उसकी अंगूठी पर लालच आ गया। वह उसे चुराने की नीति बनाने लगा।
उसने उसके बनाने वाले सुनार से एक वैसी ही नकली अंगूठी बनवाई।
एक दिन पीर जी ने बादशाह से नौका विहार के लिए कहा। बादशाह ने कहा की अवश्य ही नौका विहार पर चलेंगे।
बादशाह ने अपने मंत्रियों से अगले दिन के लिए नौका विहार की तैयारी करने को कहा।
5. अगले दिन बादशाह और पीर जी नौका विहार के लिए निकले।
पीर जी की नजर बादशाह की अंगूठी पर ही थी। कुछ देर बाद पीर जी ने कहा की बादशाह! ये अंगूठी दिखाना जरा। बादशाह ने अंगूठी पीर जी को दे दी।
पीर जी ने कहा की अंगूठी तो बहुत अच्छी है लेकिन कितने रूपयो की होगी।
बादशाह के कहा की इसमें करोड़ो रुपयों के हीरे लगे है।
तभी पीर जी ने बादशाह का ध्यान हटाने के लिए कहा की इस नाविक से कहो की नौका को उधर से ले चले।
6. बादशाह नाविक से कहने लगा उतने में पीर जी ने असली अंगूठी को जेब में रख कर नकली अंगूठी निकाल ली।
पीर जी ने कहा की अंगूठी तो बहुत अच्छी है।
बादशाह ने कहा की आप रख लो, में दूसरी बनवा लूंगा। पीर जी कहा की हम फकीर लोगो के लिए तो यह मिट्टी है और ऐसा कहकर उसे जल में फेंक दिया।
7. बादशाह पीर जी के ऐसे बर्ताव से बहुत खुश हुआ की यह तो बहुत त्यागी फकीर है। बादशाह और अधिक दृढ़ता से पीर जी को मानने लगा।
8. एक दिन पीर जी के सेवक की, पीर जी से कहा सुनी हो गई। पीर जी ने उसे सेवा से निकाल दिया। सेवक को पीर जी के अंगूठी चुराने की बात मालूम थी। उसने वह बादशाह के मंत्री से बता दी। मंत्री को विश्वास नही हुआ। मंत्री ने बात बादशाह को बता दी। बादशाह ने सेवक को बुलाया। बादशाह ने कहा की अगर ये बात गलत हुई तो में तुम्हारी गर्दन काट दूंगा। सेवक ने कहा की मुझे स्वीकार है और आपके सुनार से भी पूछ सकते हो।
9. बादशाह ने सुनार को बुलाने के आदेश दिए। सुनार ने कहा की मेने वैसी ही एक और नकली बनाई थी और आपके पीर जी ने बनवाई थी।
बादशाह ने सेवक से कहा की तुम्हारे पास क्या सबूत है। सेवक ने कहा की में आपको आपकी अंगूठी आपके पीर जी की कुटिया में दिखा दूंगा। बादशाह ने मंत्री को सेवक के साथ भेजा और उसने वह अंगूठी निकाल कर दे दी।
10. बादशाह अपनी अंगूठी को देखकर पीर जी बहुत गुस्सा होता है और पीर जी को जेल में डलवा देता हैं।
बादशाह ने एकमात्र मुसलमान पीर पर विश्वास किया था और वह भी लालची निकला। बादशाह संत महात्मा पीरो से नफरत करने लगा और सभी को नकली मानकर जेल में डाल देता था।
Негізгі бет जब नकली पीर ने चुराई बादशाह की अंगूठी Part - 2 | 2D Cartoon Hindi Moral Story | Sant Rampal Ji
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