झारखण्ड के जगन्नाथपुर रांची में हर साल आषाढ़ माह में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है. जगत के स्वामी यानी भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का ही एक रूप हैं. पुरी रथ यात्रा आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से शुरू होती हैं. ये उत्सव पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है. रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को तीन अलग-अलग दिव्य रथों पर नगर भ्रमण कराया जाता है. आइए जानते हैं साल 2023 में कब निकलेगी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा.
जगन्नाथ रथ यात्रा नए साल में 20 जून 2023 को निकलेगी.
.
332 साल पुराना ऐतिहासिक रथ मेला इस बार 20/06/2023 को लगेगा |
jagannathpur ranchi rath mela 2023
Mela k or video link se dekhe
1. • Jagannathpur Rath mela...
2. • Jagannathpur Rath mel...
3. • Jagannathpur Rath mela...
4. • Jagannathpur rath mela...
रांची में रथ मेला का इतिहास : एनीनाथ शाहदेव ने 1691 में जगन्नाथपुर मंदिर का कराया था निर्माण
झारखंड की राजधानी रांची का जगन्नाथपुर मंदिर पुरी की तरह ही रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. जगन्नाथपुर मंदिर के संस्थापक के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी लाल प्रवीर नाथ शाहदेव ने बताया कि 1691 में बड़कागढ़ में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने रांची में धुर्वा के पास भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था.
ठाकुर एनीनाथ शाहदेव अपने नौकर के साथ पुरी गये थे. नौकर भगवान का भक्त बन गया और कई दिनों तक उनकी उपासना की. एक रात्रि वह भूख से व्याकुल हो उठा. मन ही मन प्रार्थना की कि भगवान भूख मिटाइये. उसी रात भगवान जगन्नाथ ने रूप बदल कर अपनी भोगवाली थाली में खाना लाकर उसे खिलाया.
रांची : झारखंड की राजधानी रांची का जगन्नाथपुर मंदिर पुरी की तरह ही रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. जगन्नाथपुर मंदिर के संस्थापक के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी लाल प्रवीर नाथ शाहदेव ने बताया कि 1691 में बड़कागढ़ में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने रांची में धुर्वा के पास भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था.
ठाकुर एनीनाथ शाहदेव अपने नौकर के साथ पुरी गये थे. नौकर भगवान का भक्त बन गया और कई दिनों तक उनकी उपासना की. एक रात्रि वह भूख से व्याकुल हो उठा. मन ही मन प्रार्थना की कि भगवान भूख मिटाइये. उसी रात भगवान जगन्नाथ ने रूप बदल कर अपनी भोगवाली थाली में खाना लाकर उसे खिलाया.
नौकर ने पूरी आपबीती ठाकुर साहब को सुनायी. उसी रात भगवान ने ठाकुर को स्वप्न में कहा कि यहां से लौटकर मेरे विग्रह की स्थापना कर पूजा-अर्चना करो. पुरी से लौटने के बाद एनीनाथ ने पुरी मंदिर की तर्ज पर रांची में मंदिर की स्थापना की.
लाल प्रवीर नाथ ने बताया कि मंदिर की स्थापना के साथ ही मानवीय मूल्यों की भी स्थापना कर समाज को जोड़ने के लिए हर वर्ग के लोगों को जिम्मेदारी दी गयी. उरांव परिवार को मंदिर की घंटी देने और तेल व भोग के लिए सामग्री देने की जिम्मेदारी दी गयी. आज भी बंधन उरांव और बिमल उरांव इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.
मुंडा परिवार को झंडा फहराने, पगड़ी देने और वार्षिक पूजा की व्यवस्था की जिम्मेवारी दी गयी. रजवार और अहीर जाति के लोगों को भगवान जगन्नाथ को मुख्य मंदिर से गर्भगृह तक ले जाने की जिम्मेवारी दी गयी. बढ़ई परिवार को रंग-रोगन की जिम्मेवारी दी गयी. लोहरा परिवार रथ की मम्मत करते हैं. कुम्हार परिवार मिट्टी के बरतन की व्यवस्था करते हैं.
रांची : झारखंड की राजधानी रांची का जगन्नाथपुर मंदिर पुरी की तरह ही रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. जगन्नाथपुर मंदिर के संस्थापक के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी लाल प्रवीर नाथ शाहदेव ने बताया कि 1691 में बड़कागढ़ में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने रांची में धुर्वा के पास भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था.
ठाकुर एनीनाथ शाहदेव अपने नौकर के साथ पुरी गये थे. नौकर भगवान का भक्त बन गया और कई दिनों तक उनकी उपासना की. एक रात्रि वह भूख से व्याकुल हो उठा. मन ही मन प्रार्थना की कि भगवान भूख मिटाइये. उसी रात भगवान जगन्नाथ ने रूप बदल कर अपनी भोगवाली थाली में खाना लाकर उसे खिलाया.
नौकर ने पूरी आपबीती ठाकुर साहब को सुनायी. उसी रात भगवान ने ठाकुर को स्वप्न में कहा कि यहां से लौटकर मेरे विग्रह की स्थापना कर पूजा-अर्चना करो. पुरी से लौटने के बाद एनीनाथ ने पुरी मंदिर की तर्ज पर रांची में मंदिर की स्थापना की.
लाल प्रवीर नाथ ने बताया कि मंदिर की स्थापना के साथ ही मानवीय मूल्यों की भी स्थापना कर समाज को जोड़ने के लिए हर वर्ग के लोगों को जिम्मेदारी दी गयी. उरांव परिवार को मंदिर की घंटी देने और तेल व भोग के लिए सामग्री देने की जिम्मेदारी दी गयी. आज भी बंधन उरांव और बिमल उरांव इस जिम्मेदारी को निभा रहे हैं.
मुंडा परिवार को झंडा फहराने, पगड़ी देने और वार्षिक पूजा की व्यवस्था की जिम्मेवारी दी गयी. रजवार और अहीर जाति के लोगों को भगवान जगन्नाथ को मुख्य मंदिर से गर्भगृह तक ले जाने की जिम्मेवारी दी गयी. बढ़ई परिवार को रंग-रोगन की जिम्मेवारी दी गयी. लोहरा परिवार रथ की मम्मत करते हैं. कुम्हार परिवार मिट्टी के बरतन की व्यवस्था करते हैं.
Негізгі бет Jagannathpur Rath Mela Ranchi 2023 || जगन्नाथ रथ यात्रा 2023 || (Jagannath Rath Yatra 2023 Date)
Пікірлер: 5