Talk by Ashutosh Nirvadyaachari. For English transcription visit: busy.org/@xyzashu/the-forgive...
Originally uploaded by Chetan Padliya. Visit his channel for Indian Vegan recipes, milk substitutes and knowledge. Link below:
/ veganplanetindia
Additional Information:
मै आपसे अनुरोध करूँगा कि आप इस बारे में सोचे और समझे के दूध और दुधालु वस्तुओं का सेवन करके हम कितनी हिंसा का समर्थन कर रहे है...
क्यूंकि हम दुधालु वस्तुओं की डिमांड करते है, गाय का दूध उसके बछड़े को नहीं मिलता. वो दूध इंसानों को बेचा जाता है.
गाय को हर साल उसकी इच्छा के विरुद्ध गैर प्राकृतिक तरीके से गर्भवती किया जाता है. यह क्रिया बलात्कार के सामान है.
हर साल गाय को बच्चे पैदा करने के समय पे जो दर्द होता है, उसे सहन करना पड़ता है. आप वह दर्द समझने की कोशिश कीजिये
गाय ने यदि नर (मेल) बच्छड़े को जनम दिया, तो वो दूध उत्पादन के लिए कुछ योग्य नए है और उससे कतल खाने भेज दिया जाता पैदा होने के कुछ ही दिनों में उसके मांस के लिए या उसके चमड़े के लिए
आप उस माता का दर्द समझने कोशिश करे जब वो देखती है मेरा बछडा मुझसे दूर जा रहा है और उसे मार दिया जाएगा
यदि गाय ने मादा बच्छड़े जनम दिया, तो उसे मारते नहीं है लेकिन जब वह बड़ी हो जायेगी तब उसका भी उस ही तरह शोषण किया जाता है जैसे उसकी माँ का किया गया था
हर बार गाय को ओक्सीटोक्सिन नाम का इंजेक्शन दिया जाता उसका दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए. इस गाय को बहोत वेदना होती है
काफी बड़े डेरी उद्योगों में मशीनों से दूध निकाला जाता है दूध खत्म होने पर पर गाय के स्तन से खून और रस्सी निकलती और वो दूध में मिक्स हो जाता है
गाय के प्रकरतूतिक आयु 20-25 साल की रहती है, लेकिन क्यूंकि उसका शोषण किया जाता मानसिक और शारीरिक तौर पे, उसकी आयु सिर्फ 5-6 साल तक रह जाती है.
(मानसिक शोषण - उसके बच्छड़ों को उससे दूर भेजना और उसके बच्छड़ों के प्यार से वंचित करना, नर बच्चे को कतलखाने भेजना.)
(शारीरिक शोषण - उससे हर साल गैर प्राकृतिक तरीके से गर्भवती करना, उसका डिलीवरी के टाइम का दर्द सहना, उसको ओक्सीटोक्सिन नामक इंजेक्शन देना जिसमें बहोत वेदना है)
जब उसका दूध उत्पादन कम हो जाता है या खत्म हो जाता है, तब उसे कतलखाने भेज दिया जाता है या उसे रस्ते पर छोड़ दिया जाता है, कचरा खाने के लिए. जब तब वह दूध दे रही थी, तब तक उसका शोषण हुआ, जब उसने दूध देना बंद कर दिया, तब उससे कतल खाने या रस्ते पर छोड़ दिया गया.
जिन बच्छड़ों का हक़ है के उन्हें अपनी माता का प्यार मिले, उसका दूध मिले, वो हक़ उन्हें कभी मिलता ही नहीं है.
भारत आज विश्व का सबसे बड़ा बीफ एक्सपोर्टर (गौ मांस) में से एक है
भारत आज विश्व का सबसे बड़ा दुधालु वस्तुओं का उपभोगता है
जैन धर्म अहिंसा का धर्म है. अहिंसा परमो धर्म है. हमारे कारण बच्छड़े का हक़ छीना जाता है, उसपर अत्याचार किया जाता है, उसे और उसके नर बच्छड़े को कतलखाने भेज दिया जाता है, उसकी प्राकृतिक 20-25 साल से केवल 5-6 साल तक रह जाती है. दूध उद्योग के कारण ही मांस उद्योग बढ़ रहा है. दुधालु वस्तुओं का उपयोग करना मांस का उपयोग करने के सामान है. इस क्रूरता में समर्थन करके हम हिंसा का समर्थन कर रहे है. मेरी गुज़ारिश है के आप इस क्रूरता पर विचारे और इसको सहयोग न करे दुधालु वस्तुओं का त्याग करके.
हमारा स्वाद किसी के जीवन से ज्यादा महत्व का नहीं है
जैन धर्म में एक सिद्धांत है, "अस्तेय" जिसका अर्थ है के हमे किसी की भी वस्तु उसकी अनुमति के बिना नए लेनी चाहिए. हमें ऐसा कुछ भी नए लेना चाहिए जिसमे किसी दूसरे के हक़ का हो. गाय का दूध उसके बछड़े के लिए है, हमारे लिए नए. यदि हम दुधालु वस्तुओं का उपयोग कर रहे है, तोह हम चोरी कर कर रहे है
भगवान् के समय में दूध का उपयोग होता था लेकिन उस समय क्रूरता नहीं थी. शायद गाय को परिवार का सदस्य समझते थे और गाय के बछड़े को दूध देने के बाद जो दूध बचता था, वो ही इंसान लेते थे. उस समय दूध का उपयोग भी कम होता होगा. लेकिन आज की स्तिथि कुछ और ही है.
जैन धर्म में पांच इन्द्रिय जीवों (जो सुन सकते, देख सकते, महसूस कर सकते है, सूंघ सकते है और स्वाद ले सकते है) की हिंसा सबसे बड़ी हिंसा है.
गाय और इंसान पांच इन्द्रिय जीवों में आते है. गाय का शोषण इंसानों के शोषण के सामान है
दुधालु वस्तुओं के विकल्प में काफी अल्टरनेटिव्ज उपलब्ध है जैसे कि सोया, काजू, बादाम, इत्यादि का दूध, मूंगफली की दही, काजू और नारियल की छास, सोया का पनीर (टोफू)
Негізгі бет Музыка Jainism and Veganism
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