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सिद्धपीठ माता भगवती माँ मठियाणा (मैथियाना) देवी मन्दिर ( Maa Mathiyana Devi Temple)
सती होने के बाद इस स्थान पर हमेशा के लिए बस गई मां मठियाणा,छुपा है गहरा रहस्यउत्तराखंड अपनी प्राकृतिक धरोहरों के लिए हमेशा विख्यात रहता है, और इन धरोहरों में यहाँ मौजूद विभिन्न प्रकार के मन्दिर सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रहते है। हर साल बड़ी संख्या में लोग उत्तराखंड मन्दिरों के दर्शन करने आते है। इनमे कई मंदिर ऐसे है जो अपनी एक अलग पहचान रखते है और हर व्यक्ति इनके बारे में जानता है, लेकिन आज भी कही मन्दिर ऐसे है जिनके बारे में शायद कम ही लोग जानते हो। इन्ही मन्दिरों में एक है-रुद्रप्रयाग भरदार मैठणा खाल स्थित सिद्धपीठ माता भगवती माँ मठियाणा (मैथियाना) देवी मन्दिर ( Maa Mathiyana Devi Temple) |ऊंचाइयों में जंगलों से घिरा यह मन्दिर आपको यहां आने के लिए एक बार उत्साहित जरूर करेगा।
मठियाणा देवी मंदिर (Maa Mathiyana Devi Temple) माता सती का काली रूप है तथा यह स्थान देवी का सिद्ध पीठ है। यह अपने आप में आस्था और विश्वास का प्रतीक है। मठियाणा माँ उत्तराखंड की सबसे शक्तिशाली देवियों में से एक मानी जाती है और रुद्रप्रयाग और भरदार पति की रक्षक मानी जाती है।यह भी पढ़े : जानिए भगवान शिव और पार्वती के विवाह स्थल त्रियुगीनारायण मंदिर से जुड़ी खास मान्यतायें
मठियाणा माता के बारे में एक लोक कथा प्रचलित है,जिसके अनुसार कई वर्ष पहले मठियाणा देवी भी एक साधारण कन्या थी। उनकी दो माताएं थी । वह बांगर पट्टी के सिरवाड़ी गावँ में रहती थी। उनकी माताओं की आपस मे नही बनती थी। दोनो माताएं अलग अलग रहती थी। उनकी सौतेली माँ गावँ वाले घर मे रहती थी ।और उनकी माँ डांडा मरणा में रहती है। यह कन्या जैसे ही बड़ी हुई तो , घरवालों ने उसकी शादी करवा दी। विवाह के पश्चात यह कन्या एक दिन अपने मायके, गांव वाले घर में आई । वहाँ उसकी सौतेली माँ रहती थी। उसकी सौतेली माँ ने उसको बहला फुसला कर अपनी माँ से मिलने डांडा -मरणा गावँ भेज दिया और उसके पति को गावँ में रोक लिया। उसकी सौतेली माँ ने उस कन्या के पति को भोजन में जहर देकर मार दिया और लाश को एक संदूक में बंदकरके गायों के गौशाले में रख दिया।
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जब वो लड़की अपनी मा से मिलकर वापस आई ,उसे वहां पता चला कि उसकी सौतेली माँ ने उसके पति को मार दिया। तब वह लड़की अपने होश खो बैठी ,और क्रोध के आवेश में आकर उसने रात के 12 बजे अपनी सौतेली माँ के घर को जला दिया और अपने पति की मृत देह को बक्से से निकाल कर ,सूर्यप्रयाग में बहने वाली नदी के पास ले आई। जब गावँ वाले उसके पति का अंतिम संस्कार करने लगे,तो वह सती होने के लिए चिता में जाने लगी तो, अचानक वहाँ लाटा बाबा आ गए। उन्होंने उस कन्या को अपने आप को पहचानने और अपनी शक्तियों को जाग्रत करने के लिए कहा । इसके बाद ये देवी के रूप में स्थापित होकर देवी के रूप में पूजी जाने लगी। यहाँ पर लोग कहते हैं,कि इनको सती होने के बाद इनको देवी के रूप में पूजा गया।यह भी पढ़े : नौ साल बाद उत्तराखंड की रक्षक धारी देवी मां अपने मंदिर में होंगी विराजमान
इस क्षेत्र में मठियाणा देवी के बारे कई कथाएं और किंदविंदियाँ प्रसिद्ध है। लोग कहते हैं, कि देवी उन्हें कई रूपों में दिखाई देती है। रात को आने जाने वालों का मार्गदर्शन करती है। तथा, डरे हुए लोंगो को उनके नियत स्थान तक छोड़ कर भी आती है। ससुराल से परेशान भागी हुई लड़कियों की मदद करती है,और उनको उचित स्थान तक छोड़ कर आती है। मठियाणा देवी का यह मंदिर भद्रकाली सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। यहां रोज भक्तों का तांता लगा रहता है। साल के दो नवरात्रों ( ग्रीष्म एवं शीत) में यहां माँ कि विशेष पूजा अर्चना होती है। यहां 6 से 12 वर्ष के अंतराल में अखंड यज्ञ का आयोजन भी होता है। और प्रति 3 वर्ष में माता की जागर का आयोजन भी होता है।
माँ मठियाणा देवी की कृपा ही है की यहां हर साल नवरात्रियों के समय दुनिया भर से लोग देवी का आशीर्वाद लेने आते है। कहते हैं कि माता के सच्चे मन से भक्ति करने से सुयश की प्राप्ति होती है। अगर बात करे प्राकृतिक सुंदरता की तो यहाँ चारों से घिरे बॉज बुरांश के पेड़ आपको खुश करने के लिए पर्याप्त है। मन्दिर के चारों ओर का दृश्य देखते ही बनता है। मंदिर के इसी प्रांगण में यज्ञ के समय मेले का भी आयोजन होता है।
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इस क्षेत्र में मठियाणा देवी के बारे कई कथाएं और किंदविंदियाँ प्रसिद्ध है। लोग कहते हैं, कि देवी उन्हें कई रूपों में दिखाई देती है। रात को आने जाने वालों का मार्गदर्शन करती है। तथा, डरे हुए लोंगो को उनके नियत स्थान तक छोड़ कर भी आती है। ससुराल से परेशान भागी हुई लड़कियों की मदद करती है,और उनको उचित स्थान तक छोड़ कर आती है। मठियाणा देवी का यह मंदिर भद्रकाली सिद्धपीठ के रूप में प्रसिद्ध है। यहां रोज भक्तों का तांता लगा रहता है। साल के दो नवरात्रों ( ग्रीष्म एवं शीत) में यहां माँ कि विशेष पूजा अर्चना होती है। यहां 6 से 12 वर्ष के अंतराल में अखंड यज्ञ का आयोजन भी होता है। और प्रति 3 वर्ष में माता की जागर का आयोजन भी होता है।
कैसे पहुंचे मठियाणा देवी मंदिर
इस मन्दिर के दर्शन के लिए आप दो रास्तों का इस्तेमाल कर सकते है पहला रुद्रप्रयाग से तिलवाडा होते हुए सड़क मार्ग से आप यहाँ पहुंच सकते है और दूसरा टिहरी बडियार गढ़ से सौराखाल होते हुए भी आप आप इस मन्दिर तक पहुंच सकते है। सड़क से लगभग 3 km ट्रेक चढ़ने के बाद आप आप इस मन्दिर के भव्य दर्शन कर सकते
Негізгі бет जय माँ मठियाणा🙏🙏🙏
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