झुकता वही है जिसमें जान होती है अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती है पंडित अनिरुद्ध आचार्य जी की भक्ति कथ
जीवन में कितना जरूरी है जो झुक के चलता है वह समझ में ऊंचा स्थान प्राप्त करता है क्योंकि कहते हैं ना कि जो बाल्टी कुएं में जाती है अगर वह झुकते है तभी भर कर आती है अगर नहीं झुकेगी तो खाली भी रहेगी इसी प्रकार समाज में भी होता है जैसे कि विनम्र स्वभाव मानवता की पहचान है
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