#thekoitoortimes
गोंड जनजातीय समाज और गोंडी धर्म के विशेषज्ञ आचार्य मोतीरावण कंगाली (2 फरवरी, 1949 - 30 अक्टूबर, 2015) के विषय में अब बौद्धिक जगत में उत्सुकता बढ़ने लगी है। वे न केवल अपनी विशेषज्ञता के लिए बल्कि अपने इस विशेष ज्ञान के माध्यम से सामाजिक विमर्श की एक विशेष दिशा निर्मित करने के लिए भी सदियों तक जाने जाएंगे। उन्होंने अपने जमीनी अध्ययनों से जिस विमर्श को आरम्भ किया है, वह भारत के धार्मिक दार्शनिक अतीत और भविष्य दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है। जो लोग समाजशास्त्रीय और मानवशास्त्रीय अर्थ में इतिहास सहित धर्म के क्रमविकास को समझना चाहते हैं, उनके लिए डॉ. मोतीरावण कंगाली एक दुर्लभ विद्वान हैं। साहित्य और इतिहास के किस्से कहानियों की मुर्दा दुनिया में समाज या धर्म से जुड़े विमर्श खोजने वालों के लिए वे ऐसे स्वर्णिम सूत्र उपलब्ध कराते हैं जो अब से पहले कभी देखे सुने नही गए थे।
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Негізгі бет कोइली कचारगढ: कोइतूरों का पवित्र तीर्थस्थल, Koili Kachargarh:Sacred place of pilgrimage of Koitoors!
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