सियारामशरण गुप्त की कहानी काकी निश्छल बाल मन की मार्मिक कहानी है। श्यामू अपनी काकी के देहावसान से व्यथित है और यह ज्ञात होने पर कि काकी राम के पास गई हैं, वह पिता के जेब से पैसे लेकर पतंग मंगाता है और काकी के पास भेजने के लिए तैयारी करता है। उसके मन के स्तर तक कोई पहुंच नहीं पाता।
#कक्षा7 में यह कहानी पढ़ाई जा रही है।
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Негізгі бет #काकी
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