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यह पूर्वांचल और आसपास (वाराणसी, जौनपुर...) के जिलों में गाया जाने वाला बहुत ही प्रसिद्ध पारम्परिक विवाह गीत है. ये गीत 'उर्दी छुआने' के बाद, पांच देवी गीतों के गाने के बाद गाया जाने वाला प्रथम गीत है.
इस गीत में दूल्हे/दुल्हन की मां काले भँवरे के माध्यम से अपने बेटे/बेटी के विवाह का निमंत्रण भेजती है, परन्तु अपने भाई को निमंत्रण भेजने से मना करती है. वो उनसे रूठी हुई है, क्यूंकि बचपन में उन्होंने उसकी खूब पिटाई की थी.
जब सभी लोग आये हुए अपने भाइयों से मिलने लगते हैं तो उसे बहुत अखरता है, वो फिर काले भँवरे से अपने भाई को निमंत्रण भेजती है. भाई जब आ जाते हैं तो हर ओर ख़ुशी नज़र आने लगती है.
ताल प्रोडक्शन्स डिवाइन ट्रडिशन्स एंड म्यूजिक स्टूडियो
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डॉ. शारदा दुबे Dr SHARDA DUBEY
TAAL Productions
Divine Traditions & Music Studio
Негізгі бет काला भँवरवा, करिया तोरी / kala bhawarwa / शादी का न्योता ले कर चला / Kala Bhanwarwa / Vivah ka Gana
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