एक निष्ठा भाव से जो प्रभु की उपासना करता है वो इन तीनों गुना को लांघकर ब्रह्मरूप बनने के योग्य हैं।
Sudhanshu ji Maharaj Bhakti,satsang
Негізгі бет एक निष्ठा भाव से जो प्रभु की उपासना करता है वो इन तीनों गुना को लांघकर ब्रह्मरूप बनने के योग्य हैं।
एक निष्ठा भाव से जो प्रभु की उपासना करता है वो इन तीनों गुना को लांघकर ब्रह्मरूप बनने के योग्य हैं।
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