kabir ke dohe | कालचक्र से सावधान | Kabir amritwani
काल पाय जग ऊपजो, काल पाय सब जाय।
काल पाय सब बिनशि हैं, काल काल कहँ खाय।।
समय पाकर संसार के प्राणी-पदार्थ प्रवाह रूप उत्पन्न होते हैं और समय पाकर प्रवाह रूप सब मिटते भी रहते हैं। समय पाकर सब विनष्ट होंगे; क्योंकि किसी काल में बनी हुई वस्तु हो, काल खाता ही है।
काल से सावधान भाग-१
(कबीर के दोहे)
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काल से सावधान भाग-२
(कबीर के दोहे)
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काल से सावधान भाग-३
(कबीर के दोहे )
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