किस प्रकार पशु-पक्षी किसी मनुष्य के परिवार से जुड़कर उस परिवार के संस्कारों और दिनचर्या को ग्रहण कर लेते हैं, यह बात विचित्र किन्तु सत्य है। कई मौकों पर तो ऐसा लगता है की उनमें समझ और धैर्य मनुष्यों की तुलना में किसी भी तरह कम नहीं है। अपने अनुभव से मुझे ये बिलकुल स्पष्ट हो गया की जब आप किसी पशु या पक्षी को दिखावे के लिए नहीं बल्कि दिल से पालते हो तभी वह भी आपसे दिल से जुड़ पाता है। मेरे परिवार से जुड़े ऐसे ही दो सदस्यों की भावपूर्ण कहानी है जिन्हें हमने कभी कोई ट्रेनिंग देने की कोशिश नहीं कीऔर हमारे परिवार में उनकी भागीदारी उनकी अपनी समझ और भाव से थी। इसे बड़े स्क्रीन पर देखने में ज्यादा आनंद आएगा।
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Негізгі бет कहानी लाइका और पोगो की (English subtitles)
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