क्या हमारे ईश्वर, हमारे राम किसी मंदिर में हैं, क्या वे किसी पहाड़ की चोटी पर हैं, क्या वे किसी गुफा में हैं ?
या वे हमारे हृदय में, हमारे विश्वास में, हमारे एहसास में, हमारी स्वाँसों में हैं?
सुनिए सूर्यकांत गोस्वामी जी द्वारा रचित, "रोम रोम में राम रमे"
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Негізгі бет कहानी: रोम रोम में राम रमे, कृति: श्री सूर्यकांत गोस्वामी जी, पाठ: नितिन गोस्वामी
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