कालिंजर दुर्ग विंध्याचल की पहाड़ी पर 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। दुर्ग की कुल ऊंचाई 108 फ़ीट है। इसकी दीवारें चौड़ी और ऊंची हैं। यह उत्तर प्रदेश के बाँदा जिला के कालिंजर कस्बे में है। बांदा से यह महज 60 किलोमीटर की दूरी पर है। बगैर टैक्सी किए कालिंजर फोर्ट घूमना आसान नहीं होगा। कालिंजर दुर्ग को मध्यकालीन भारत का सर्वोत्तम दुर्ग माना जाता था। इस पर महमूद ग़ज़नवी, कुतुबुद्दीन ऐबक और हुमायूं ने आक्रमण कर इसे जीतना चाहा, पर कामयाब नहीं हो पाये। अंत में अकबर ने 1569 ई. में यह क़िला जीतकर बीरबल को सौंप दिया। बीरबल के बाद यह क़िला बुंदेल राजा छत्रसाल के अधीन हो गया। इनके बाद क़िले पर पन्ना के हरदेव शाह का कब्जा हो गया। 1812 ई. में यह क़िला अंग्रेज़ों के अधीन हो गया। शेरशाह सूरी ने भी आधिपत्य पाने के लिए दुर्ग पर चढ़ाई की मगर दुश्मन के तोप का गोला लगने से उसकी मौत हो गई।
माफीनामा:- वीडियो के नरेशन में भूलवश शेरशाह सूरी की मौत की तारीख और वर्ष गलत हो गई है जिसके लिए हमें बहुत खेद है। 22 मई 1945 को 22 मई 1545 सुना और समझा जाए। इस भूल के लिए एक बार फिर क्षमाप्रार्थी हूँ.... कोशिश रहेगी आगे से ये गलती न हो... धन्यवाद...।
Негізгі бет KALINJAR FORT | KALINJAR KA KILA | शेरशाह सूरी को लगा था तोप का गोला | यहीं शांत हुई शिवजी की जलन |
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