कपिल शर्मा पहाड़ी सुपरस्टार|| शान ए महफिल !!मजुरा किंग|| की शानदार महफिल देखना ना भूले हमारे चैनल पर:-
kapil sharma Shan e sirmour
Nati king
Mehfil king of Himachal pradesh
बहुत ही खूबसूरत गीत और गायन 🙏
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• कोटी महासु महाराज जिला...
स्थानीय भाषा में महासू शब्द ‘महाशिव’ का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू हैं, जो कि भगवान शिव के ही रूप माने गए हैं। इनमें बासिक महासू सबसे बड़े हैं, जबकि बौठा महासू, पबासिक महा...
भगवान शिव के रूप चारों भाई
महासू असल में एक देवता नहीं, बल्कि चार देवताओं का सामूहिक नाम है। स्थानीय भाषा में महासू शब्द 'महाशिव' का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू हैं, जो कि भगवान शिव के ही रूप माने गए हैं
जौनसार-बावर में महासू महाराज को ईष्ट देव के रूप में पूजा जाता है. तमाम अन्य ग्राम देवता, क्षेत्रपाल, देवी देवता भी महासू देवता के हुक्म की तालीम अदब से करते हैं. जौनसार बावर की संस्कृति सभ्यता, तीज त्यौहार, अधिकतर माहसू देव के नाम पर ही मनाए जाते हैं. किसी भी त्योहार की प्रथम शुरुआत इन्हीं के नाम से होती है. घर मकान शादी विवाह जन्म मरण के संस्कारों पर प्रथम पूजा महासू देव की ही होती है. फसल का प्रथम भाग भी महासू देवता के नाम पर ही चढ़ाया जाता है. अधिकतर अनसुलझे विवादित मस्ले जर जमीन तथा जोरु का निपटारा जो मानव के सामाजिक न्याय से नहीं सुलझता है वह भी महासू के मंदिर के न्यायालय में छोड़ दिया जाता है. महासू देवता अपने शक्ति से तुरंत अपने भक्तों को न्याय दिलाते हैं तथा दोषियों को दंड का भोगी बनाते हैं. लोगों को इस देवता के प्रति बेहद आस्था और विश्वास है. इनके प्रति लोगों का विश्वास तथा आस्था देश विदेश तक बढ़ती जा रही है. जो भी श्रद्धालु दुखी होकर इन के मंदिर में आते हैं. महासू महाराज इनकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं.
महासू महाराज के जौनसार बावर तथा हिमाचल बंगाण क्षेत्र में अपने कारिंदे हैं. जिसमें वजीर,महाते, पुजारी, ठाणी, भंडारी, राजगुरु, डडियारी तथा नौबत बजाने के लिए दयाड़ उनकी सेवा में हर वक्त उपलब्ध रहते हैं.
वैसे तो हर त्योहार में माहसू महाराज की पूजा की जाती है परंतु फिर भी उनके अपने कुछ खास धार्मिक त्यौहार है, जैसे जागड़ा (जगराता जिसको आज उत्तराखंड सरकार राज्य धार्मिक मेले के रूप में मनाती है. बसंत पंचमी, विशू की जातरा तथा दीपावली (दीयाईं) आदि प्रमुख त्यौहार है.
आज जिस प्रकार से इस सिद्ध पीठ मंदिर की प्रसिद्धी और मान्यता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. हनोल मंदिर पूरे उत्तराखंड में लोगों के धार्मिक आस्था तथा न्याय का प्रतीक बन गया है. आज हनोल महासू मंदिर का धाम उत्तराखंड के पांचवे धाम के रूप में विख्यात हो रहा है. जिसके प्रति उत्तराखंड की सरकार भी सजग है.
महासू देवता को जौनसार-बावर में ही नहीं अपितु पूरे उत्तराखंड हिमाचल में न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है. महासु किसी एक देवता का नाम नहीं बल्कि चार भाइयों के नाम से महासु बंधु विख्यात है. इनका मुख्य मंदिर देहरादून से 190 किलोमीटर दूर तमसा नदी के पूर्वी तट पर जौनसार बावर क्षेत्र के हनोल नामक स्थान पर प्राचीन काल से ही स्थापित है. मंगोल नागर शैली से मिश्रित स्थापत्य यह मंदिर अद्भुत काष्ट कला एवं पथरो से निर्मित है. समुद्र तल से 1250 मीटर की ऊंचाई पर बने वर्तमान मंदिर का निर्माण नवीं शताब्दी के आसपास का बताया जाता है जबकि, एएसआइ (पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग) के रिकार्ड में मंदिर का निर्माण 11वीं व 12वीं सदी का होने का जिक्र है. वर्तमान मे इसका संरक्षण भी एएसआइ ही कर रहा है.
हनोल शब्द की उत्पत्ति यहां के एक ब्रह्मण हुणाभाट के नाम से मानी जाती है. जिसके सात पुत्रों को किरमिर दानव अपना भक्षण के शिकार बना चुका था. अब उसकी नजर उसके पत्नी तथा भांजी पर थी जिन्हें हुणाभाट किसी भी रूप में खोना नहीं चाहता था. दानव के आतंक से तंग आकर बावर क्षेत्र को मुक्त कराने के लिए हाटेश्वरी देवी के निर्देश पर उसने कूड़ू काश्मीर की यात्रा करी तथा चार भाई महासू को इस क्षेत्र में आने के लिए आह्वान किया. इन चारों देवताओं ने किरमीर नामक दानव का अंत करके हनोल में जाकर अपना मूल थान बनाया साथ ही अपने-अपने राज्य शासन का बंटवारा भी किया. ऐसी भी मान्यता है कि इससे पूर्व हनोल नामक स्थान पर विष्णु नामक देव का वास था. चार महासू ने अपनी कलाओं को दिखाकर विष्णु से शर्तों पर हनोल को जीत लिया था तथा इसे अपनी संयुक्त राजधानी बनाया. मूल रूप से चार भाई माहसू को धरती के ऊपर सबसे बड़े देवता के रूप में माने जाते है. यही चार महाशक्तियां 33 कोटि देवी देवता, तीन लोक, 9 खंड, 9 लाख कालका, 64 योगिनी, 5200 वीर, तथा 9 लाख काल परियों के स्वामी माने जाते हैं.
लोगो का मानना है कि महासू देवता “न्याय और आस्था के देवता है, और यह सत्यता भी है इस महासू देवता के मंदिर को न्यायालय कहा जाता है”. कहा जाता है कि यदि किसी के साथ कोई भी चल कपट या चोरी बुरी तथा अत्याचार होता है तो महासू देवता की शरण में जाकर मात्र एक रूपया माहसू के नाम का संकल्प चढ़ाकर न्याय प्राप्त होता है. ऐसी भी किदवंती है कि इस स्थान पर माता कुंती ने अपने पांचों पुत्रों के साथ कुछ समय तक इस देव की शरण में आश्रय लिया था. इसी कारण इस मंदिर को आज भी महत्व दिया जाता है.
महासू को चारों भाइयों के संयुक्त नाम से जाना जाता हैं जो मैंद्रथ नामक स्थान पर प्रकट हुए थे,#shillai #shillai darpan #Kapil sharma@follower
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