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⚡ आचार्य प्रशांत कौन हैं?
अध्यात्म की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत वेदांत मर्मज्ञ हैं, जिन्होंने जनसामान्य में भगवद्गीता, उपनिषदों ऋषियों की बोधवाणी को पुनर्जीवित किया है। उनकी वाणी में आकाश मुखरित होता है।
और सर्वसामान्य की दृष्टि कहेगी कि आचार्य प्रशांत प्रकृति और पशुओं की रक्षा हेतु सक्रिय, युवाओं में प्रकाश तथा ऊर्जा के संचारक, तथा प्रत्येक जीव की भौतिक स्वतंत्रता व आत्यंतिक मुक्ति के लिए संघर्षरत एक ज़मीनी संघर्षकर्ता हैं।
संक्षेप में कहें तो,
आचार्य प्रशांत उस बिंदु का नाम हैं जहाँ धरती आकाश से मिलती है!
आइ.आइ.टी. दिल्ली एवं आइ.आइ.एम अहमदाबाद से शिक्षाप्राप्त आचार्य प्रशांत, एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी भी रह चुके हैं।
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#acharyaprashant
वीडियो जानकारी:
पार से उपहार शिविर, 17.04.20, ग्रेटर नॉएडा, भारत
प्रसंग:
अहं पुरा भरतो नाम राजा विमुक्तदृष्टश्रुतसङ्गबन्धः।
आराधनं भगवत ईहमानो मृगोऽभवं मृगसङ्गाद्धतार्थः॥१४॥
सा मां स्मृतिर्मृगदेहेऽपि वीर कृष्णार्चनप्रभवानोजहाति।
अथो अहं जनसङ्गादसङ्गो विशङ्कमानोऽविवृतश्चरामि॥१५॥
भावार्थ : पूर्वजन्म मे मै भरत नाम का राजा था। ऐहिक और पारलौकिक दोनों प्रकार के विषयो से विरक्त होकर भगवान की आराधना मे ही लगा रहता था तो भी मुझे एक मृग मे आसक्ति हो जाने से मुझे परमार्थ से भ्रष्ट होकर अगले जन्म मे मृग बनना पड़ा है।
वीर! भगवान श्री कृष्ण की आराधना के प्रभाव से उस मृग योनि मे भी मेरी पूर्वजन्म की स्मृति लुप्त नहीं हुई इसी से मै अब जनसम्पर्क से डर कर सर्वदा असंगभाव से गुप्तरूप ही विचरता रहता हूँ तो ऋषि जड़भरत राजा को ऐसा बताते है।
परमहंस गीता (अध्याय ३, श्लोक १४ -१५ )
~ कर्मफल का सिद्धांत क्या है?
~ मुक्त होते हुए भी बंधन को क्यों चुनते हैं?
~ मन और आत्मा में क्या रिश्ता हैं?
~ निरंतर सतर्कता कैसे रखे?
~ आसक्ति से मुक्ति कैसे संभव हैं?
संगीत: मिलिंद दाते
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Негізгі бет कर्मफल और पुनर्जन्म क्या हैं? || आचार्य प्रशांत, परमहंस गीता पर (2020)
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