कर्मयोग ज्ञानयोग और भक्तियोग की विस्तृत जानकारी - मोक्ष का सही मार्ग क्या है? Karma Yoga Gyan Yoga Bhakti Yoga
कर्मयोग स्थूल शरीर की योग साधना है। इस साधना में सबसे प्रथम और सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान आलस्य और प्रमाद को निरस्त करना है। इसके लिए यह जरूरी है कि समय को बहुमूल्य व बेशकीमती समझा जाय। और एक-एक क्षण का पूरा सदुपयोग करने के लिए श्रम में संलग्न रहा जाय ।
ज्ञानयोग की शुरुआत आत्म जिज्ञासा से होती है। जब समूचा अस्तित्व एक जुट होकर अपने से यह सवाल पूछता है कि मैं कौन हूँ? जब प्राणों में एक ही विकल गूँज उफनती है कि मैं कौन हूँ? तब ज्ञान योग की साधना प्रारम्भ होती है। ज्ञानयोग की साधना दरअसल सूक्ष्म शरीर की साधना है। क्योंकि ज्ञानयोग में लीन साधक को सबसे पहला अहसास यही होता है कि पल-पल नष्ट होने वाला, हर घड़ी मृत्यु की ओर बढ़ने वाला स्थूल शरीर मेरा परिचय कभी नहीं हो सकता।
हमारी परंपरा में कहा जाता है कि भगवान् का रहस्य जानना हो, तो भक्त का रहस्य जान लो । भगवान् के सान्निध्य में रहना हो, तो भक्त के सान्निध्य में रहो। क्योंकि भक्त चेतना के गहनतम तल में जीता है। उसकी साधना स्थूल, सूक्ष्म से परे, कारण शरीर की साधना है।
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