ईशरा परमेशरा महात्मा ईशर दासजी बारठ द्वारा सांगा गौड़ ( राजपूत) को आंतरोली सांगा ( परबतसर ) में बछड़ा सहित पुन: जीवित किया था जिसकी कथा
Ishra Parameshwara Mahatma Ishar Dasji Barath had revived Sanga Gaud (Rajput) along with his calf in Antaroli Sanga (Parbatsar), the story of which
भक्त कवि ईसरदास की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में एक महान संत के रूप में रही है | संत महात्मा कवि ईसरदास का जन्म बाडमेर राजस्थान के भादरेस गाँव में वि. सं. 1515 में हुआ था। पिता सुराजी रोहड़िया शाखा के चारण थे एवं भगवान् श्री कृष्णके परम उपासक थे।
Devotee poet Isardas has been recognized as a great saint in Rajasthan and Gujarat. Saint Mahatma poet Isardas was born in Bhadres village of Barmer Rajasthan in 1515 AD. His father Suraji was a Charan of Rohadiya sect and was a great devotee of Lord Shri Krishna.
देवियांण एवं हरिरस महात्मा ईसरदास बारहट की अमर रचनाएँ हैं।
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